नई दिल्ली: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को विशेष न्यायाधिकरण द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। भारत के कई पूर्व राजनयिकों और दक्षिण एशियाई कूटनीति के जानकारों ने सोमवार को इस निर्णय को “चिंताजनक” और “राजनीतिक रूप से खतरनाक” बताया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से बांग्लादेश में पहले से मौजूद राजनीतिक ध्रुवीकरण और गहरा सकता है, जो देश की स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा दोनों के लिए गंभीर संकेत है।
“बांग्लादेश बेहद ध्रुवीकृत हो चुका है”—पूर्व भारतीय उच्चायुक्त
वर्ष 2003 से 2006 तक ढाका में भारत की उच्चायुक्त रहीं वीना सीकरी ने न्यायाधिकरण के अधिकारों पर सवाल उठाते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) का गठन केवल 1971 के मुक्ति संग्राम से जुड़े युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए किया गया था, न कि किसी पूर्व प्रधानमंत्री या राजनीतिक नेता पर मुकदमा चलाने के लिए।
वीना सीकरी ने कहा,
“आईसीटी को एक पूर्व प्रधानमंत्री पर मुकदमा चलाने का क्या अधिकार है? यह संस्था विशेष रूप से 1971 के युद्ध अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए बनी थी। इसका राजनीतिक उपयोग बेहद खतरनाक मिसाल है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से बांग्लादेश में “न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता” पर सवाल खड़े होते हैं।
अन्य पूर्व राजनयिकों ने भी जताई गहरी चिंता
भारत के अन्य वरिष्ठ पूर्व राजनयिकों ने भी इस फैसले की आलोचना की। उनका कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया “राजनीति से प्रेरित” लगती है और यह पड़ोसी देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर सकता है।
एक पूर्व राजदूत ने कहा,
“बांग्लादेश की राजनीति पिछले कुछ वर्षों से अत्यधिक ध्रुवीकृत रही है। इस तरह के फैसले आग में घी डालने का काम करेंगे और देश में अस्थिरता और बढ़ सकती है।”
कूटनीति विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति पर असर पड़ेगा बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति पर भी प्रभाव हो सकता है, जिसमें भारत-बांग्लादेश संबंध विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर की आशंका
कई सुरक्षा विश्लेषकों को चिंता है कि बांग्लादेश में उथल-पुथल बढ़ने से सीमा क्षेत्रों में गतिविधियाँ बढ़ सकती हैं और अवैध प्रवासन, कट्टरपंथ तथा अशांति जैसे मुद्दों में तेजी आ सकती है। भारत के लिए यह स्थिति “रणनीतिक चिंता” बन सकती है।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र के हालात पर सतर्क नजर रखनी होगी और “राजनीतिक प्रतिशोध की जगह लोकतांत्रिक संवाद” की आवश्यकता पर जोर देना होगा।
शेख हसीना की विरासत और विवाद
चार बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को देश के आर्थिक विकास, चरमपंथ पर नियंत्रण और भारत के साथ मजबूत संबंधों के लिए जाना जाता है। हालांकि विपक्ष लंबे समय से उनके शासन को “सत्तावादी” बताते हुए चुनावों में गड़बड़ी का आरोप लगाता रहा है।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री को मौत की सजा सुनाया जाना “एक बेहद असामान्य, अस्थिर करने वाला और ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व” कदम है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
भारत, संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थानों की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवाधिकार संगठनों की सक्रियता आने वाले दिनों में बढ़ सकती है।



