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देश में रबी फसलों की बुआई में रिकॉर्ड बढ़ोतरी; गेहूं, दलहन और तिलहन में व्यापक विस्तार से किसानों में उत्साह

नई दिल्ली: देश में रबी सीजन 2025 की बुआई इस वर्ष बेहद मजबूत रफ्तार से आगे बढ़ रही है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी “Progress of Area Coverage Under Rabi Crops” की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 28 नवंबर 2025 तक प्रमुख रबी फसलों की कुल बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में 35.33 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में की गई है। यह वृद्धि न केवल इस सीजन के अच्छे प्रदर्शन को दर्शाती है, बल्कि खाद्य उत्पादन और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेत देती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 28 नवंबर 2024 को रबी फसलों का कुल बुआई क्षेत्र 357.73 लाख हेक्टेयर था, जो इस वर्ष समान अवधि तक बढ़कर 393.07 लाख हेक्टेयर हो गया। इस उल्लेखनीय बढ़त का सबसे बड़ा योगदान गेहूं, दलहन और तिलहन जैसी प्रमुख फसलों से आया है।


गेहूं की बुआई में 27 लाख हेक्टेयर की ऐतिहासिक छलांग

रबी सीजन की सबसे अहम फसल यानी गेहूं की बुआई इस बार रिकॉर्ड स्तर पर है।
आँकड़ों के अनुसार, 28 नवंबर 2024 तक गेहूं का बुआई क्षेत्र 160.26 लाख हेक्टेयर था, जो इस वर्ष बढ़कर 187.37 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया। यानी 2025 सीजन में 27.11 लाख हेक्टेयर की ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह वृद्धि कई कारणों से संभव हो सकी है:

  • इस वर्ष समय पर मानसून वापसी के कारण खेतों में पर्याप्त नमी बनी रही
  • उत्तर भारत में शुरुआती ठंड ने गेहूं की बोआई के लिए अनुकूल स्थिति पैदा की
  • बेहतर किस्मों के बीज की उपलब्धता ने किसानों को उत्पादन बढ़ाने के प्रति उत्साहित किया
  • फसल की अच्छी कीमत और खरीद प्रणाली में स्थिरता ने किसान भरोसे को मजबूत किया

इन कारकों के चलते गेहूं की बुआई ने पिछले कुछ वर्षों की तुलना में एक नया उच्च स्तर स्थापित किया है।


दलहन फसलों की बुआई में 1.95 लाख हेक्टेयर का विस्तार; MSP बढ़ोतरी का असर

सरकार पिछले कुछ वर्षों से दलहन उत्पादन बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है। MSP में उल्लेखनीय बढ़ोतरी, बीज वितरण में सुधार और जागरूकता अभियानों के चलते अब जमीन पर इसका प्रभाव स्पष्ट दिखने लगा है।

रिपोर्ट बताती है कि 28 नवंबर 2024 तक दलहनों का बुआई क्षेत्र 85.06 लाख हेक्टेयर था, जो इस वर्ष बढ़कर 87.01 लाख हेक्टेयर हो गया। यानी दलहन में 1.95 लाख हेक्टेयर का विस्तार दर्ज किया गया।

इस श्रेणी में चना, मसूर, मटर जैसी फसलों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
उद्योग विश्लेषकों के अनुसार, पिछले वर्षों में देश में दालों की मांग बढ़ी है और सरकार आयात पर निर्भरता कम करने के प्रयास कर रही है। ऐसे में दलहन क्षेत्र में यह वृद्धि नीति-निर्माताओं के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।


तिलहन में 3.14 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी; सरसों की बुआई में तेजी

तिलहन फसलों ने भी इस सीजन में मजबूत प्रदर्शन किया है। आँकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष 28 नवंबर 2024 तक तिलहन का कुल बुआई क्षेत्र 77.38 लाख हेक्टेयर था, जो इस वर्ष बढ़कर 80.53 लाख हेक्टेयर हो गया। यानी 3.14 लाख हेक्टेयर का विस्तार दर्ज हुआ है।

तिलहन की श्रेणी में प्रमुख रूप से सरसों की बुआई में तेजी देखने को मिल रही है।
सरसों के अच्छे बाजार भाव, पिछले दो वर्षों में MSP में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी और तेल उत्पादन में घरेलू मांग ने किसानों को तिलहन की ओर आकर्षित किया है।

कृषि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहा तो देश में खाद्य तेल आयात पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो सकती है।


समग्र कृषि परिदृश्य: मौसम, नीतियां और बाजार—तीनों का सकारात्मक प्रभाव

रबी सीजन की मजबूत शुरुआत केवल संयोग नहीं है। कृषि विशेषज्ञ तीन प्रमुख कारणों को इसकी पृष्ठभूमि बताते हैं:

1. मौसम की अनुकूलता

इस बार मानसून की विदाई उचित समय पर हुई और कई राज्यों में अक्टूबर-नवंबर के दौरान पर्याप्त मिट्टी की नमी उपलब्ध रही। कई इलाकों में समय पर हल्की बारिश ने भी जमीन को तैयार रखने में मदद की।

2. सरकारी नीतियों का प्रभाव

MSP में बढ़ोतरी, बीज-उपलब्धता में सुधार, खेती के आधुनिक तरीकों का प्रसार और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी नीतियाँ किसान भरोसे को बढ़ावा दे रही हैं। दलहन व तिलहन के मामले में सरकार विशेष मिशन भी चला रही है।

3. बाजार और कीमतें

पिछले कुछ वर्षों में गेहूं, दलहन और तेलहन का बाजार स्थिर और किसानों के लिए लाभकारी रहा है। इस स्थिरता ने किसानों की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ाई है।


कुल रबी बुआई पहुंची 393 लाख हेक्टेयर—उत्पादन लक्ष्य पर भी उम्मीद बढ़ी

कुल मिलाकर, रबी फसलों का बुआई क्षेत्र पिछले साल के 357.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस वर्ष 393.07 लाख हेक्टेयर पहुँच गया है। यह न केवल बुआई का विस्तृत दायरा दिखाता है बल्कि यह भी संकेत देता है कि आने वाले महीनों में देश का खाद्यान्न उत्पादन बेहतर स्थिति में रह सकता है।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौसम इसी प्रकार अनुकूल बना रहा तो गेहूं सहित अन्य रबी फसलों का कुल उत्पादन उम्मीद से अधिक रह सकता है, जो देश की खाद्य सुरक्षा और कीमतों की स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


निष्कर्ष

रबी सीजन 2025 की शुरुआती तस्वीर भारतीय कृषि के लिए उल्लेखनीय रूप से सकारात्मक है। गेहूं, दलहन और तिलहन जैसी प्रमुख फसलों की बुआई में बड़ी बढ़ोतरी न केवल किसानों के सशक्त होने का संकेत देती है, बल्कि यह कृषि अर्थव्यवस्था की मजबूती का भी परिचायक है।

यदि आने वाले महीनों में मौसम अनुकूल रहा तो यह सीजन बीते कई वर्षों की तुलना में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वालों में शुमार हो सकता है।

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