
नई दिल्ली/इंफाल: जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि अब छह महीने और बढ़ाई जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को राज्यसभा में यह प्रस्ताव पेश करेंगे, जिसके पारित होने के बाद यह विस्तार 13 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
सरकार ने यह कदम राज्य में स्थायित्व, सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया है, क्योंकि अब तक राज्य के हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए हैं।
🔹 क्या है प्रस्ताव में?
राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक गृह मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत आता है।
प्रस्ताव में उल्लेख है:
“यह सदन राष्ट्रपति द्वारा 13 फरवरी 2025 को अनुच्छेद 356 के अंतर्गत जारी उद्घोषणा को 13 अगस्त 2025 से छह माह की अतिरिक्त अवधि तक लागू रखने की स्वीकृति देता है।”
इसका मतलब यह है कि संसद की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी 2026 तक मणिपुर में प्रभावी रहेगा।
🔹 क्या है मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पृष्ठभूमि?
राज्य में मई 2023 से शुरू हुई मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के कारण हालात लगातार बिगड़े। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।
राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था, जिसके तहत राज्य की निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह फैसला लिया गया था, जबकि मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक निर्धारित था।
🔹 अब तक क्या सुधार हुए हैं?
हालांकि केंद्र और राज्य प्रशासन की ओर से राहत और पुनर्वास कार्यों की कोशिशें जारी हैं, लेकिन जमीनी हालात में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है। कई इलाकों में अब भी तनाव बना हुआ है और स्थानीय प्रशासन की भूमिका सीमित मानी जा रही है।
केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाने, राहत शिविरों में सुविधाएं मुहैया कराने और स्थानीय नेताओं के साथ संवाद स्थापित करने जैसे उपाय जरूर किए हैं, लेकिन राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक सौहार्द की वापसी अभी दूर प्रतीत होती है।
📝 राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगे की राह
इस प्रस्ताव पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया आना तय है। कई पार्टियों ने पहले भी राज्य में केंद्रीय दखल और देरी से हस्तक्षेप पर सवाल उठाए हैं। प्रस्ताव के पारित होने के बाद, मणिपुर में चुनाव की संभावनाएं और राजनीतिक बहाली की दिशा आने वाले महीनों में स्पष्ट होगी।