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ऑपरेशन ‘क्रिस्टल फोर्ट्रेस’: मॉड्यूलर मेथ कार्टेल का नेशनल-इंटरनेशनल नेटवर्क ध्वस्त, NCB–दिल्ली पुलिस की ऐतिहासिक कामयाबी

नई दिल्ली: भारत की केंद्रीय एजेंसियों ने ड्रग तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे सटीक और रणनीतिक कार्रवाई को अंजाम देते हुए मेथमफेटामाइन की ट्रांस-नेशनल सप्लाई लाइन को भारी झटका दिया है। केन्द्रिय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन ‘क्रिस्टल फोर्ट्रेस’ के तहत मिली इस ऐतिहासिक सफलता के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम को बधाई दी है।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘नशामुक्त भारत’ के संकल्प को वास्तविक धरातल पर उतारने की दिशा में यह ऑपरेशन एजेंसियों के बीच अभूतपूर्व समन्वय और तेज़ कार्रवाई का प्रतीक है। शाह ने स्पष्ट कहा कि केन्द्र सरकार ड्रग माफियाओं का “संपूर्ण सफाया” करने के मिशन मोड पर काम कर रही है और यह ऑपरेशन उसी दिशा का एक बड़ा कदम है।


₹262 करोड़ की मेथामफेटामाइन बरामद, दो तस्कर गिरफ्तार

20 नवंबर को छतरपुर, दिल्ली स्थित एक घर में की गई संयुक्त छापेमारी में करीब 328 किलोग्राम हाई-क्वालिटी मेथामफेटामाइन बरामद की गई—जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत 262 करोड़ रुपये से अधिक है। NCB की ऑपरेशनल ब्रांच और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की CI यूनिट ने यह कार्रवाई एक लंबी खुफिया जांच और तकनीकी विश्लेषण के बाद अंजाम दी।

पकड़े गए दो आरोपियों में एक नागालैंड की महिला शामिल है, जिसके घर से भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त हुए। इस कार्रवाई में नागालैंड पुलिस का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। टीम ने कई डिजिटल सबूत, मोबाइल कम्युनिकेशंस और विदेशी संपर्कों से जुड़े लिंक भी अपने कब्जे में लिए हैं, जिनका विश्लेषण जारी है।


कई महीनों की जांच, तकनीकी इंटरसेप्ट और जाल बिछाकर बनाई गई रणनीति

एजेंसी सूत्रों के अनुसार ऑपरेशन ‘क्रिस्टल फोर्ट्रेस’ कोई अचानक की गई कार्रवाई नहीं थी।
यह एक इंटेलिजेंस-ड्रिवन, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिगेशन थी, जो पिछले कई महीनों से चल रही थी।
टीमें लगातार इनपुट जुटा रही थीं—

  • इंटरसेप्टेड कम्युनिकेशन
  • संदिग्ध लॉजिस्टिक मूवमेंट
  • विदेशी नंबर्स से जुड़े कॉल डेटा
  • ड्रग सप्लाई चेन में सक्रिय मॉड्यूल्स के नेटवर्क मैप

जांच में इस तस्करी नेटवर्क के कई राज्यों और पड़ोसी देशों में फैले तारों का पता चला। घिरे जाने की आशंका से बचने के लिए गिरोह लगातार लोकेशन और पैटर्न बदलता था, लेकिन एजेंसियों ने तकनीकी ट्रैकिंग और ग्राउंड इंटेलिजेंस की मदद से उन्हें चिह्नित किया।

अधिकारियों के अनुसार मेथमफेटामाइन का यह नेटवर्क “हाई-वॉल्यूम, हाई-स्ट्रीट वैल्यू” मॉडल पर काम करता था और इसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन बेहद मजबूत थे।


ऑपरेशन में उजागर हुआ इंटरनेशनल ड्रग सिंडिकेट

NCB और दिल्ली पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार इस नेटवर्क का असली मास्टरमाइंड विदेश में बैठा है। यह वही शख्स है जो पिछले वर्ष दिल्ली में NCB द्वारा की गई 82.5 किलोग्राम हाई-ग्रेड कोकीन की जब्ती के मामले में भी वांटेड था।

यह मास्टरमाइंड न सिर्फ भारतीय मॉड्यूल चलाता था बल्कि—

  • ट्रांस-नेशनल सप्लाई रूट
  • फंडिंग चैनल
  • विदेशी केमिकल सप्लायर्स
  • और इंटरनेशनल कूरियर नेटवर्क

इन सभी को दूर बैठकर संचालित करता था।
एजेंसियां इसे एक “उच्च प्रशिक्षित, ऑर्गेनाइज्ड, मॉड्यूलर ड्रग कार्टेल” बता रही हैं, जिसका संचालन दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका के ड्रग नेटवर्क से भी जुड़ा प्रतीत हो रहा है।

भारत सरकार अब इंटरनेशनल एनफोर्समेंट एजेंसियों के सहयोग से मास्टरमाइंड को भारत लाने की दिशा में तेज़ काम कर रही है।


अमित शाह बोले—“ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर दोनों ओर से प्रहार”

गृह मंत्री अमित शाह ने X पर अपने पोस्ट में लिखा—

“ड्रग कार्टेल के खिलाफ लड़ाई सरकार का सर्वोच्च संकल्प है। हम ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की दोनों अप्रोच पर एक साथ काम कर रहे हैं। NCB और दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई ड्रग्स के जाल को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मील का पत्थर है।”

शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ ड्रग्स पकड़ना नहीं, बल्कि उस पूरी सप्लाई चेन और नेटवर्क संरचना को ध्वस्त करना है जो भारत में नशे की नई-नई सिंथेटिक दवाओं की खपत बढ़ाने की कोशिश कर रही है।


देश में बढ़ते सिंथेटिक ड्रग्स का खतरा

विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले एक दशक में सिंथेटिक ड्रग्स—खासकर मेथमफेटामाइन—ने भारत में अवैध तस्करी का बड़ा बाजार बनाया है।
ये ड्रग्स—

  • छोटे पैमाने में आसानी से बनाई जा सकती हैं
  • महंगी होती हैं
  • और अंतरराष्ट्रीय डार्क-नेट, ऐप्स और क्रिप्टो चैनलों के जरिए बेची जाती हैं

इस कारण यह नेटवर्क सामान्य ड्रग्स की तुलना में अधिक खतरनाक और पकड़ में कठिन माने जाते हैं।
NCB का दावा है कि ऑपरेशन ‘क्रिस्टल फोर्ट्रेस’ ने इस पूरी चेन को एक बड़ा झटका दिया है।


छतरपुर हाउस बना तस्करी का ‘साइलेंट वेयरहाउस’

एजेंसियों की जांच में पता चला कि दिल्ली का छतरपुर स्थित घर कई महीनों से एक साइलेंट वेयरहाउस के रूप में इस्तेमाल हो रहा था।
यहां—

  • पैकेजिंग
  • अस्थायी स्टोरेज
  • और आगे भेजने के लिए छोटे-छोटे कंसाइनमेंट तैयार करने का काम होता था।

आरोपी ‘ऑफ-ग्रिड कम्युनिकेशन’ का इस्तेमाल करते थे, जिससे ट्रैकिंग कठिन हो जाती थी।
लेकिन टीमों ने लगातार निगरानी रखकर सही समय पर कार्रवाई की।


सिंडिकेट के कई सदस्य चिह्नित, कार्रवाई जारी

NCB ने बताया कि नेटवर्क के कई अन्य भारतीय और विदेशी सदस्यों की पहचान हो चुकी है। इनमें—फाइनेंसर, कम्युनिकेशन हैंडलर और लॉजिस्टिक सप्लायर जैसे सदस्य शामिल हैं। कई टीमों को अलग-अलग राज्यों में भेजा गया है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारी संभव है।


भारत में सिंथेटिक नशे पर ‘सबसे बड़ी चोट’

ड्रग कार्टेलों की नए प्रकार की हाई-टेक कार्यशैली और ट्रांस-नेशनल नेटवर्क को देखते हुए यह कार्रवाई भारत की एजेंसियों की सबसे बड़ी सफलताओं में शुमार की जा रही है।
NCB और दिल्ली पुलिस का यह संयुक्त ऑपरेशन न सिर्फ ड्रग्स की विशाल खेप पकड़े जाने की वजह से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसलिए भी कि इसने एक ऐसे इंटरनेशनल नेटवर्क को जड़ से हिलाया है जो लंबे समय से गुप्त रूप से सक्रिय था।

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