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एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान” – हिन्दू एकता के लिए मोहन भागवत का संदेश

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नई दिल्ली/अलीगढ़: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिन्दू समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त कर एकजुटता का आह्वान किया है। उन्होंने “एक मंदिर, एक कुआं और एक श्मशान” का फॉर्मूला प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिन्दू समाज को भीतर से जोड़ने और सामाजिक समरसता कायम करने की आवश्यकता है। यह बयान उन्होंने अलीगढ़ दौरे के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिया।

अलीगढ़ के एचबी इंटर कॉलेज और पंचन नगरी पार्क में आयोजित कार्यक्रमों में भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज को संगठित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए आपसी भेदभाव मिटाना अनिवार्य है। “एक मंदिर, एक कुआं और एक श्मशान” का विचार जातिगत अलगाव को खत्म करने की दिशा में संघ का एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश है।

मोहन भागवत ने परिवार की भूमिका को समाज की आधारभूत इकाई बताया और कहा कि सभी त्योहार सामूहिक रूप से मनाने की परंपरा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे सामाजिक समरसता के साथ-साथ राष्ट्रवाद को भी बल मिलता है।

अपने संबोधन में उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ताओं से कहा कि वे समाज के हर वर्ग तक पहुंचें और ज़मीनी स्तर पर एकता बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्यों के आधार पर ही मजबूत समाज की रचना की जा सकती है।

गौरतलब है कि आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है और इस वर्ष विजयादशमी पर संगठन 100 वर्ष पूरे करेगा। मोहन भागवत का ब्रज क्षेत्र का यह दौरा शताब्दी समारोह की तैयारियों के तहत किया जा रहा है। 17 अप्रैल से शुरू हुए इस दौरे में वे प्रतिदिन संघ के प्रचारकों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

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