
नई दिल्ली : देशभर में इस बार मॉनसून (Monsoon Rain 2025) ने रफ्तार पकड़ते हुए कई राज्यों में औसत से कहीं ज्यादा बारिश दर्ज कराई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों से लेकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे मैदानी इलाकों में भारी वर्षा के नए रिकॉर्ड बने हैं। वहीं, कुछ राज्यों में बारिश की कमी ने सूखे जैसे हालात भी पैदा कर दिए हैं।
सामान्य से पहले पहुंचा मॉनसून
आमतौर पर मॉनसून हर साल 1 जून को केरल तट से दस्तक देता है और जुलाई तक पूरे देश को कवर करता है। लेकिन इस साल मॉनसून ने 8 दिन पहले, यानी 24 मई को ही केरल में दस्तक दे दी थी। इतना ही नहीं, 29 जून तक पूरे भारत को कवर कर लिया गया, जबकि औसतन यह प्रक्रिया 9 दिन बाद पूरी होती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बार मॉनसून की असामान्य रफ्तार और बारिश का असमान वितरण ही कारण है कि कहीं बाढ़ जैसे हालात बने तो कहीं पर सूखे का संकट मंडराया।
किन राज्यों में कितनी बारिश? (Rainfall Data)
IMD के अनुसार 2025 के मॉनसून सीजन में अब तक रिकॉर्ड की गई बारिश का हाल कुछ इस प्रकार है:
- राजस्थान – 554 मिमी बारिश (औसत से 56% ज्यादा)
- हिमाचल प्रदेश – 762 मिमी बारिश (औसत से 30% ज्यादा)
- उत्तराखंड – 1075 मिमी बारिश (औसत से 15% ज्यादा)
- दिल्ली – 574 मिमी बारिश (औसत से 38% ज्यादा)
- लदाख – 64 मिमी बारिश (औसत से 298% ज्यादा)
- जम्मू-कश्मीर – 466 मिमी बारिश (औसत से 9% ज्यादा)
- पंजाब – 423 मिमी बारिश (औसत से 22% ज्यादा)
- हरियाणा – 103 मिमी बारिश (औसत से 22% ज्यादा)
- झारखंड – 1003 मिमी बारिश (औसत से 32% ज्यादा)
- गुजरात – 641 मिमी बारिश (औसत से 15% ज्यादा)
पहाड़ों में आफत, मैदानों में राहत
उत्तराखंड और हिमाचल में बारिश सामान्य से काफी ज्यादा रही है, जिससे नदियां उफान पर हैं और कई जिलों में भूस्खलन व बाढ़ जैसी आपदाएं आईं। हजारों लोग प्रभावित हुए और कई सड़कों को बंद करना पड़ा।
वहीं, दिल्ली-एनसीआर और पंजाब-हरियाणा जैसे मैदानी इलाकों में हुई 38% तक ज्यादा बारिश ने गर्मी से राहत दी है। हालांकि लगातार हुई भारी बारिश से जलभराव और ट्रैफिक जाम ने लोगों की मुश्किलें भी बढ़ाई हैं।
कमजोर मॉनसून वाले राज्य
जहां एक ओर उत्तर-पश्चिम भारत में रिकॉर्ड तोड़ बारिश दर्ज हुई, वहीं पूर्वी और दक्षिणी राज्यों के कई इलाकों में मॉनसून कमजोर साबित हुआ। ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कई हिस्सों में औसत से कम बारिश हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार मॉनसून के दौरान ला-नीना (La-Niña) प्रभाव देखने को मिला, जिसके कारण बारिश का वितरण असमान रहा।
कृषि और अर्थव्यवस्था पर असर
कृषि अर्थव्यवस्था पर मानसून की सीधी मार पड़ती है। झारखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अधिक वर्षा ने खरीफ की फसलों को फायदा पहुंचाया है। लेकिन जिन इलाकों में कम बारिश हुई है, वहां किसान सूखे और सिंचाई संकट से जूझ रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सितंबर तक बारिश का संतुलन नहीं बनता, तो इसका असर धान, दलहन और तिलहन की पैदावार पर पड़ सकता है।
IMD की चेतावनी
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड, हिमाचल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। वहीं, दक्षिण भारत के कई हिस्सों में अब भी बारिश की कमी बनी रहेगी।
मॉनसून 2025 अब तक औसत से ज्यादा बारिश लेकर आया है। इससे जहां एक ओर गर्मी से राहत और फसलों को फायदा हुआ है, वहीं पहाड़ी राज्यों और शहरी इलाकों में बाढ़, भूस्खलन और जलभराव जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में भारत को मॉनसून पैटर्न की अनियमितताओं के लिए और ज्यादा तैयार रहना होगा। जल प्रबंधन, शहरी निकासी व्यवस्था और आपदा प्रबंधन को मजबूत करना ही ऐसी चुनौतियों से निपटने का समाधान है.