
नई दिल्ली – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय कृषि-नवीकरणीय ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2025’ में भाग लिया। इस सम्मेलन का आयोजन नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और किसानों के बीच समन्वय स्थापित करना था। इस अवसर पर मंत्री ने कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित रिपोर्ट और वार्षिक संदर्भ पुस्तिका का विमोचन भी किया।
“विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत राष्ट्रव्यापी संपर्क
अपने संबोधन में श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन्हें कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास का दायित्व सौंपा गया है, जिसे वे पूर्ण निष्ठा से निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 29 मई से शुरू हुआ “विकसित कृषि संकल्प अभियान” 15 दिन तक चलेगा और इसके तहत वे अब तक ओडिशा, जम्मू, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पटना और महाराष्ट्र का दौरा कर चुके हैं।
किसानों की समृद्धि के लिए 6 प्रमुख उपाय प्रस्तुत किए
चौहान ने किसानों की समृद्धि हेतु छह कारगर उपायों को रेखांकित किया:
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उत्पादन में वृद्धि
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उत्पादन लागत में कमी
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उचित मूल्य सुनिश्चित करना
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हानि की स्थिति में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था
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फसल विविधिकरण को बढ़ावा देना
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उर्वरकों का संतुलित प्रयोग व जैविक खेती को प्रोत्साहन
उन्होंने कहा कि मिट्टी की उर्वरता और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जैविक खेती अत्यंत आवश्यक है।
दलहन और तिलहन उत्पादन पर विशेष ध्यान
श्री चौहान ने बताया कि 2014-15 के बाद से देश में कृषि उत्पादन में 40% की वृद्धि हुई है। गेहूं, चावल, मक्का और मूंगफली जैसे प्रमुख फसलों का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन अब समय है कि दलहन और तिलहन उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
एकीकृत कृषि प्रणाली की वकालत
उन्होंने कहा कि आज भी देश के 50% लोग कृषि पर निर्भर हैं, ऐसे में Integrated Farming System को अपनाकर सीमांत किसान अपनी सीमित भूमि का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं। यह प्रणाली उन्हें आत्मनिर्भर बनने की ओर प्रेरित करेगी।
ऊर्जा क्षेत्र में सौर ऊर्जा की भूमिका और पीएम-कुसुम योजना
चौहान ने कहा कि किसानों को ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए सौर पैनल (Solar Panels) एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने पीएम-कुसुम योजना का उल्लेख किया जो किसानों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यरत है।
उन्होंने विशेष रूप से ऊंचाई पर सोलर पैनल और उसके नीचे खेती करने वाले मॉडल का उल्लेख किया और कहा कि इससे किसान “अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता” भी बन सकते हैं। उन्होंने ऐसे मॉडल के प्रसार और विकास पर जोर दिया और कहा कि सरकार इस दिशा में पूर्ण सहयोग देगी।
विश्व पर्यावरण दिवस का संदेश
चौहान ने सभी से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस को सार्थक रूप से मनाने का आग्रह किया और कहा –
“पर्यावरण बचाने में सौर ऊर्जा मील का पत्थर साबित हो सकती है।”
शिवराज सिंह चौहान का यह संबोधन किसानों को केवल कृषि उत्पादन तक सीमित न रखकर ऊर्जा क्षेत्र से जोड़ने, सुधारवादी दृष्टिकोण अपनाने, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक ठोस पहल के रूप में देखा जा रहा है। “अन्नदाता से ऊर्जादाता” बनाने की यह सोच भारतीय कृषि की भविष्य की दिशा को दर्शाती है।