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नैनीताल दुष्कर्म के आरोपी उस्मान पर एससी एक्ट की हुई बढोत्तरी

याचिका में पीड़ित परिवार की तरफ से पक्षकार बनाये जाने के लिए प्रार्थना पत्र अपने अधिवक्ता ने पेश किया।

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हाईकोर्ट का आदेश, एसएसपी हर हफ्ते खुद करेंगे केस की समीक्षा
एसएसपी नैनीताल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में हुए पेश हुए
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने घर तोड़ने की रोक को जारी रखा
नैनीताल। 12 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म मामले में मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। नैनीताल नगर पालिका ने 65 साल के आरोपी मो उस्मान के घर को अवैध निर्माण बताते हुए तोड़ने का नोटिस दिया था। नगर पालिका के इस नोटिस के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मंगलवार की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने घर तोड़ने की रोक को जारी रखा है।
इसके अलावा कोर्ट ने एसएसपी नैनीताल को निर्देश दिए हैं कि वे प्रत्येक सप्ताह मामले की खुद समीक्षा करें। अगली सुनवाई पर की गई कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी। एसएसपी नैनीताल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए थे।
उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि शहर में शांति व्यवस्था बनी हुई। मामले में जांच चल रही है, आरोपी पर पॉक्सो के अलावा एससी एक्ट की भी धारा लगाई गई है। क्योंकि पीड़िता अनुसूचित जाति की है। वहीं मामले में नगर पालिका ने अपना जवाब पेश कर कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद नगर पालिका ने जो अवैध मकान खाली कराने का नोटिस दिया था, उसे वापस ले लिया है।
याचिका में पीड़ित परिवार की तरफ से पक्षकार बनाये जाने के लिए प्रार्थना पत्र अपने अधिवक्ता ने पेश किया। उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपना पक्ष रखकर कहा कि सोशल मीडिया पर अधिवक्ताओं व न्यायालय के खिलाफ अभद्रता भरे पोस्ट किए जा रहे है, इसपर रोक लगाई जाए। इसके लिए पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए जाएं।
बता दें कि नैनीताल नगर पालिका ने दुष्कर्म के आरोपी को मो। उस्मान को घर खाली करने और तोड़ने का नोटिस दिया था, जिसको मो। उस्मान के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। मो। उस्मान के वकील ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश हैं कि अतिक्रमण हटाने से 15 दिन पहले नोटिस देना होता है, लेकिन नगर पालिका ने केवल 3 दिन का समय दिया, जबकि आरोपी जेल में है।
इसके अलावा क्षेत्र के कई दर्जन अन्य लोगों को नोटिस हुए हैं। यह अपने आप मे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। नगर पालिका इस तरह से मकान खाली कराने का नोटिस उन्हें बिना सुने नहीं दे सकती। उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया दिया। क्योंकि आरोपी पुलिस की कस्टडी में है।
मामले के अनुसार आरोपी उस्मान ने नाबालिग के साथ 12 अप्रैल को दुष्कर्म किया था। जब इसका पता हिन्दू संगठनों को चला तो संगठन भड़क उठे। नैनीताल में बवाल हो गया। कई दुकानों में तोड़फोड़ व कई के साथ मार पिटाई तक हुई। तब से अब तक आरोपी को फांसी की सजा दिलाये जाने को लेकर विभिन्न संगठन धरना प्रदर्शन कर रहे है। इसको शांत करने के लिए एक मई को नगर पालिका ने आरोपी के घर को खाली कराने के लिए तीन दिन का समय देते हुए नोटिस उसके घर पर चस्पा कर दिया। इस आदेश को उसकी पत्नी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।

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