
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायिक संस्थान, उच्चतम न्यायालय, ने अपने प्रशासनिक और संस्थागत ढांचे को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए 26 आंतरिक समितियों का पुनर्गठन किया है। यह पुनर्गठन अलग-अलग तिथियों से प्रभावी किया गया है—कुछ समितियां 25 नवंबर से लागू हो चुकी हैं, जबकि शेष समितियां आठ दिसंबर से प्रभाव में आई हैं।
इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय की प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने और न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इन समितियों का कार्यक्षेत्र न केवल न्यायालय के आंतरिक प्रशासन से जुड़ा है, बल्कि वकीलों, न्यायिक कर्मचारियों, सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और न्याय से जुड़े संवेदनशील सामाजिक विषयों तक फैला हुआ है।
किस उद्देश्य से किया गया पुनर्गठन
सूत्रों के अनुसार, इन समितियों के पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य कार्य विभाजन को स्पष्ट करना, निर्णय प्रक्रिया को तेज करना और न्यायालय के भीतर विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है। समय-समय पर समितियों की संरचना में बदलाव को संस्थागत सुधारों का अहम हिस्सा माना जाता है, जिससे नई चुनौतियों और बढ़ते मामलों के अनुरूप व्यवस्था को ढाला जा सके।
पिछले कुछ वर्षों में उच्चतम न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या, जनहित याचिकाओं में वृद्धि और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के विस्तार को देखते हुए, यह पुनर्गठन विशेष महत्व रखता है।
वित्त और पदोन्नति से जुड़ी समितियां
पुनर्गठित समितियों में वित्त समिति और पदोन्नति समिति प्रमुख हैं। वित्त समिति न्यायालय के बजट, व्यय, संसाधनों के उपयोग और वित्तीय अनुशासन से जुड़े मामलों की निगरानी करती है, जबकि पदोन्नति समिति न्यायालय के कर्मचारियों और अधिकारियों की पदोन्नति से संबंधित मामलों पर निर्णय लेती है।
इन समितियों का प्रभावी संचालन न्यायालय के सुचारु प्रशासन और कर्मचारियों के मनोबल को बनाए रखने के लिए बेहद आवश्यक माना जाता है।
विधि क्लर्क, अनुसंधान और अकादमिक कार्यों पर फोकस
उच्चतम न्यायालय ने विधि क्लर्क-सह-अनुसंधान सहायक समिति के पुनर्गठन के जरिए न्यायिक शोध और कानूनी सहायता प्रणाली को और मजबूत करने पर जोर दिया है। विधि क्लर्क न्यायाधीशों को जटिल मामलों में कानूनी शोध, मिसालों के अध्ययन और निर्णय लेखन में सहयोग प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, पुस्तकालय समिति भी पुनर्गठित की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट की विशाल कानूनी लाइब्रेरी, डिजिटल संसाधनों और नवीनतम विधिक साहित्य की उपलब्धता सुनिश्चित करने का कार्य करती है।
कर्मचारी कल्याण और सुरक्षा पर विशेष ध्यान
न्यायालय ने कर्मचारी कल्याण समिति और सुरक्षा समिति के पुनर्गठन के माध्यम से कर्मचारियों की सुविधाओं, स्वास्थ्य, कार्यस्थल सुरक्षा और न्यायालय परिसर की समग्र सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता दी है।
सुप्रीम कोर्ट परिसर की सुरक्षा एक संवेदनशील विषय रहा है, खासकर उच्च-प्रोफाइल मामलों की सुनवाई और बड़ी संख्या में आगंतुकों की मौजूदगी को देखते हुए। सुरक्षा समिति न्यायालय परिसर, प्रवेश व्यवस्था और अन्य सुरक्षा उपायों की निगरानी करती है।
भवन, परिसर और गेस्ट हाउस से जुड़ी समितियां
भवन और परिसर निगरानी समिति तथा उच्चतम न्यायालय गेस्ट हाउस समिति भी पुनर्गठित की गई हैं। ये समितियां न्यायालय के भवनों के रखरखाव, बुनियादी ढांचे के विकास, स्वच्छता और अतिथि सुविधाओं से जुड़े मामलों को देखती हैं।
न्यायालय से जुड़े वरिष्ठ न्यायाधीशों, वकीलों और आधिकारिक अतिथियों के लिए गेस्ट हाउस व्यवस्था की अहम भूमिका होती है, जिसे सुचारु बनाए रखना इन समितियों की जिम्मेदारी है।
वकीलों से जुड़ी प्रमुख समितियां
वकीलों से संबंधित मामलों के लिए भी कई महत्वपूर्ण समितियों का पुनर्गठन किया गया है। इनमें—
- एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AOR) परीक्षा समिति
- वकीलों के चैंबरों के आवंटन से जुड़ी समिति
- उच्चतम न्यायालय नियम समिति
शामिल हैं। ये समितियां सुप्रीम कोर्ट में वकालत की गुणवत्ता, पेशेवर मानकों और अधिवक्ताओं से जुड़े प्रशासनिक पहलुओं को नियंत्रित करती हैं।
जनहित याचिका और सामाजिक न्याय से जुड़े मामले
पुनर्गठित समितियों में जनहित याचिका (PIL) मामलों की समिति, परिवार अदालत मामलों की समिति और किशोर न्याय समिति भी शामिल हैं। ये समितियां समाज के संवेदनशील वर्गों से जुड़े मामलों की प्राथमिक जांच और प्रक्रियात्मक निगरानी का कार्य करती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन समितियों की भूमिका न्यायिक प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने और वास्तविक जनहित से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देने में बेहद अहम है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और मीडिया से जुड़ी समिति
उच्चतम न्यायालय ने सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति और कानूनी संवाददाताओं की मान्यता समिति का भी पुनर्गठन किया है। जहां सांस्कृतिक समिति न्यायालय के भीतर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और परंपराओं से जुड़े कार्य देखती है, वहीं संवाददाताओं की मान्यता समिति न्यायालय की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों की मान्यता से संबंधित मामलों को संभालती है।
यह कदम न्यायालय और मीडिया के बीच पारदर्शी और व्यवस्थित संवाद बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
न्यायिक सुधारों की दिशा में संकेत
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, आंतरिक समितियों का यह पुनर्गठन उच्चतम न्यायालय द्वारा संस्थागत सुधारों की निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है। इससे न केवल प्रशासनिक निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे, बल्कि न्यायिक कार्यभार के प्रबंधन में भी सुधार आएगा।
निष्कर्ष
26 आंतरिक समितियों का पुनर्गठन यह दर्शाता है कि उच्चतम न्यायालय केवल न्यायिक फैसलों तक सीमित नहीं है, बल्कि अपनी आंतरिक व्यवस्थाओं को भी समय के अनुरूप ढालने के लिए सक्रिय है। यह कदम न्यायपालिका की कार्यक्षमता, पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।



