देहरादून शक्तिमान घोड़े की मौत मामले में एक बार फिर से नैनीताल हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले में सीजेएम कोर्ट देहरादून से बरी हुए पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और इस सम्बंध में केस की समस्त पत्रावली याचिकाकर्ता को दिलाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ ने गृह सचिव को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को चार हफ्ते के भीतर निस्तारित करें.
आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में होशियार सिंह बिष्ट ने एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 14 मार्च 2016 को विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी का धरना था. पुलिस ने इन लोगों को रिस्पना नदी पर रोक लिया था. इस समय यहां पर घुड़सवार पुलिस भी मौजूद थी. झड़प के दौरान पुलिस के शक्तिमान घोड़े की टांग टूट गई. जांच करने पर पुलिस ने बलुआ करने के आरोप में तत्कालीन बीजेपी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गौर और राहुल रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
तत्कालीन सरकार ने केस वापस लेने के लिए कोर्ट में दो बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोर्ट ने केस वापस नहीं लेने दिया. कुछ समय बाद इन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. 23 सितंबर 2021 को सीजेएम कोर्ट देहरादून ने इन पांचों अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. याचिकाकर्ता का कहना है कि इन्होंने पशु क्रुरता की है. और निचली अदालत ने इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया हुआ है. जबकि, इनके खिलाफ कई सबूत हैं. पुलिस की वीडियोग्राफी भी है, जिसे अनदेखा किया गया.इसलिए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए उन्हें सीजेएम कोर्ट देहरादून से केस की समस्त पत्रावली दिलाई जाए.उच्च न्यायालय में याचिक दायर करने से पहले उन्होंने पत्रावली देने के लिए सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि वे इस केस में पक्षकार नहीं है. याचिका में राज्य सरकार, डिस्ट्रिक्ट/सेशन जज देहरादून, गणेश जोशी, प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गौर और राहुल रावत को पक्षकार बनाया गया है.