
नई दिल्ली, 17 मई — ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि तुर्की को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रहते हैं — जो पाकिस्तान से कहीं ज़्यादा हैं।
ओवैसी ने शनिवार को एक बयान में कहा कि तुर्की बार-बार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है, लेकिन उसे भारत के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने एक दिलचस्प किस्सा साझा करते हुए कहा कि तुर्की में मौजूद ‘इसबैंक’ (IsBank) के प्रारंभिक जमाकर्ताओं में भारतीय नागरिक शामिल थे।
“पाकिस्तान का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं”
ओवैसी ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि जिस प्रकार पाकिस्तान ने व्यवहार किया है, उसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की सेना हमेशा भारत के साथ छेड़छाड़ करती रहेगी। वे भिखारी हैं और हम कब तक यह सब सहन करते रहेंगे?”
अमेरिका से सवाल: क्या पाकिस्तान की गारंटी लेगा?
ओवैसी ने भारत और पाकिस्तान के अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों की तुलना करते हुए कहा, “पाकिस्तान का अमेरिका के साथ सिर्फ़ 10 अरब डॉलर का व्यापार है, जबकि भारत का 150 अरब डॉलर से ज़्यादा है। क्या अमेरिका पाकिस्तान की गारंटी ले सकता है कि वह अब आतंकवादी हमलों को नहीं अंजाम देगा?”
उन्होंने अमेरिका से मांग की कि वह ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ को एक आतंकवादी संगठन घोषित करे, जिसे उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा का ही अंग बताया।
ऑपरेशन सिंदूर और भारत का वैश्विक पक्ष
भारत द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर ओवैसी ने कहा कि यह जरूरी है कि भारत अपना पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मज़बूती से रखे। उन्होंने कहा कि भारत का हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और दृढ़ रुख रहा है।
ओवैसी ने यह भी बताया कि भारत जल्द ही एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रमुख यूरोपीय देशों — यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, बेल्जियम और डेनमार्क — में भेजेगा, ताकि ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि और पाकिस्तान की भूमिका को स्पष्ट किया जा सके।