
देश में चुनाव और राजनीति पर नजर रखने वाली संस्था नेशनल इलेक्शन वॉच – एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपनी नई रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 40 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग में जमा अपनी ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार कुल 2,532.09 करोड़ रुपये की आय घोषित की है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ दो दल — भारत राष्ट्र समिति (BRS) और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (TMC) — ने ही इस आय का आधे से ज्यादा हिस्सा अपने नाम किया है।
BRS ने सबसे ज्यादा कमाई दर्ज की
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने सबसे ज्यादा 685.51 करोड़ रुपये की आय दर्ज की। यह कुल आय का 27.07% है।
TMC की आय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC) रही। पार्टी ने इस दौरान 646.39 करोड़ रुपये की आय घोषित की, जो कुल आय का 25.53% है।
सबसे खास बात यह रही कि TMC की आय में एक साल के भीतर दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई।
- FY 2022-23 में TMC की आय: 333.45 करोड़ रुपये
- FY 2023-24 में TMC की आय: 646.39 करोड़ रुपये
- कुल बढ़ोतरी: 312.19 करोड़ रुपये
इस बढ़ोतरी ने TMC को क्षेत्रीय दलों में सबसे ज्यादा रफ्तार से बढ़ने वाला राजनीतिक दल बना दिया।
BJD और TDP की कमाई में भी इजाफा
तीसरे नंबर पर ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) रही, जिसकी आय 297.80 करोड़ रुपये रही। वहीं, आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने भी अच्छी कमाई दर्ज की।
ADR रिपोर्ट के अनुसार:
- BJD की आय में बढ़ोतरी: 116.753 करोड़ रुपये
- TDP की आय में बढ़ोतरी: 221.07 करोड़ रुपये
टॉप 5 क्षेत्रीय दलों की आय 83% हिस्सेदारी के बराबर
ADR की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सिर्फ टॉप 5 क्षेत्रीय दलों — BRS, TMC, BJD, TDP और DMK — की कुल आय 2105.82 करोड़ रुपये रही। यह सभी 40 क्षेत्रीय दलों की कुल आय का 83.17% है।
यानि, बाकी बचे 35 क्षेत्रीय दलों की कमाई बहुत ही मामूली रही।
ADR रिपोर्ट क्यों महत्वपूर्ण है?
ADR और नेशनल इलेक्शन वॉच हर साल राजनीतिक दलों की घोषित आय और व्यय का विश्लेषण करती है। इस रिपोर्ट से साफ होता है कि भारत की राजनीति में पैसा किस तरह का रोल निभा रहा है और कौन-सी पार्टियां वित्तीय तौर पर सबसे ज्यादा मजबूत हो रही हैं।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश में आर्थिक रूप से कुछ ही पार्टियां दबदबा बनाए हुए हैं, जबकि दर्जनों क्षेत्रीय दल बेहद सीमित साधनों पर काम कर रहे हैं।
विश्लेषण: क्षेत्रीय राजनीति में पैसे की ताकत
विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी राजनीति में अब क्षेत्रीय दलों की पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है। BRS और TMC जैसी पार्टियों की आय यह साबित करती है कि वे न सिर्फ अपने-अपने राज्यों में बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़ा असर डालने की क्षमता रखती हैं।
आगे आने वाले चुनावों में इन पार्टियों की फंडिंग क्षमता, चुनाव प्रचार और जनता तक पहुंचने की ताकत उनके राजनीतिक भविष्य को और मजबूत कर सकती है।
ADR की ताजा रिपोर्ट ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर भारतीय राजनीति में पैसे और फंडिंग का कितना बड़ा रोल है। जब दो ही पार्टियां देश के 40 क्षेत्रीय दलों की कुल आय का आधे से ज्यादा हिस्सा अपने कब्जे में ले लेती हैं, तो यह साफ है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में आर्थिक असमानता गहराती जा रही है।
आगामी चुनावों में देखना यह होगा कि क्या यह आर्थिक ताकत जनता के वोट में भी तब्दील होती है या फिर जनता अपनी पसंद किसी और आधार पर तय करेगी।