
देहरादून। उत्तराखंड प्रशासनिक गलियारों में उस समय हलचल मच गई जब देहरादून जिलाधिकारी सविन बंसल (IAS) को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के दौरे में प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर राज्य शासन की ओर से नोटिस जारी किया गया। इस मामले में शासन ने डीएम से जवाब भी तलब कर लिया है।
क्या है मामला?
12 जून को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में आयोजित 127वें इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने के लिए देहरादून पहुंचे थे। इस दौरान प्रोटोकॉल के तहत जिलाधिकारी की उपस्थिति और तालमेल आवश्यक था, लेकिन आरोप है कि डीएम सविन बंसल कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहे और ना ही उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को रिसीव किया।
फोन कॉल भी अनसुना किए गए!
जानकारी के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष के स्टाफ द्वारा 10 और 11 जून को जिलाधिकारी देहरादून को कुल 7 बार मोबाइल और लैंडलाइन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार “मीटिंग में व्यस्त” बताकर कॉल को नजरअंदाज़ किया गया। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी इस मामले की सूचना पहुंचाई गई। इसके बाद डीएम ने कॉल बैक किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
उत्तराखंड शासन के प्रोटोकॉल सचिव विनोद कुमार सुमन द्वारा इस मामले में डीएम सविन बंसल को औपचारिक नोटिस भेजा गया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया। सचिव ने पुष्टि की कि जिलाधिकारी ने अपना जवाब शासन को भेज दिया है, लेकिन इस जवाब पर अगली कार्यवाही क्या होगी, इसे लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की गई है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि डीएम का लोकसभा अध्यक्ष के स्टाफ से बातचीत का लहजा भी सम्मानजनक नहीं था, जिससे मामले की संवेदनशीलता और बढ़ गई है। शासन इसे आदर्श प्रशासनिक व्यवहार के विरुद्ध मानते हुए गंभीरता से देख रहा है।
लोकसभा अध्यक्ष जैसे शीर्ष संवैधानिक पद के प्रति सम्मान और प्रोटोकॉल का पालन प्रशासनिक व्यवस्था की मूल आत्मा है। यदि आरोप सही हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है बल्कि संवैधानिक गरिमा का भी उल्लंघन है। अब देखना यह है कि शासन इस जवाब से संतुष्ट होता है या कार्रवाई की अगली प्रक्रिया शुरू होती है।