
देहरादून, 25 अक्टूबर: कहते हैं कि जब प्रशासन संवेदनशील हो, तो न्याय देर से नहीं मिलता। देहरादून में ऐसा ही हुआ जब एक शिक्षिका, जो महीनों से अपने मेहनत के हक के लिए लड़ रही थी, आखिरकार उसे उसका अधिकार मिला — वो भी जिलाधिकारी सविन बंसल के हस्तक्षेप के बाद।
जिले के प्रतिष्ठित इडिफाई वर्ल्ड स्कूल (मोथरोवाला) में कार्यरत शिक्षिका कनिका मदान का वेतन और अनुभव प्रमाण पत्र लंबे समय से स्कूल प्रबंधन द्वारा रोका गया था। बार-बार अनुरोध के बावजूद जब सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने जनता दर्शन में डीएम से गुहार लगाई। जिलाधिकारी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए, और देखते ही देखते मामला सुलझ गया।
महीनों से रोका गया था शिक्षिका का वेतन और सुरक्षा राशि
शिक्षिका कनिका मदान ने बताया कि वे कई वर्षों से इडिफाई वर्ल्ड स्कूल में शिक्षण का कार्य कर रही थीं। मार्च और जुलाई 2025 के महीनों का वेतन तथा उनकी सुरक्षा राशि स्कूल प्रशासन द्वारा रोकी गई थी। इतना ही नहीं, इस्तीफा देने के बाद स्कूल प्रबंधन ने अनुभव प्रमाण पत्र (Experience Certificate) भी देने से इनकार कर दिया था।
कनिका ने बताया कि उन्होंने इंटरमीडिएट तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूल कोऑर्डिनेटर के रूप में भी सेवाएं दी थीं। लेकिन जब स्कूल ने अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया, तो उसमें न तो पद का उल्लेख था और न ही कार्य अवधि का सटीक विवरण। यही नहीं, स्कूल प्रशासन शिक्षिका की शिकायतों को महीनों तक नज़रअंदाज़ करता रहा।
डीएम सविन बंसल ने लिया संज्ञान, दिए सख्त निर्देश
13 अक्टूबर को जनता दर्शन कार्यक्रम में जब शिक्षिका कनिका मदान अपनी दो बेटियों के साथ पहुंचीं, तो उन्होंने जिलाधिकारी सविन बंसल को अपनी व्यथा बताई। डीएम ने बिना देर किए मुख्य शिक्षा अधिकारी को तत्काल जांच और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
जैसे ही मामला प्रशासनिक प्रक्रिया में आया, स्कूल प्रबंधन की घबराहट साफ दिखी। जिलाधिकारी की सख्ती के बाद दो दिनों के भीतर स्कूल ने 2 माह का लंबित वेतन और सुरक्षा राशि ₹78,966 का भुगतान चेक के माध्यम से जारी कर दिया।
स्कूल प्रबंधन को झुकना पड़ा, अनुभव प्रमाण पत्र भी जारी
इतना ही नहीं, डीएम के हस्तक्षेप के बाद स्कूल प्रशासन ने नया अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया, जिसमें शिक्षिका के पद, कार्यकाल और दायित्वों का पूरा उल्लेख किया गया।
दरअसल, डीएम बंसल ने इस बात पर सख्त आपत्ति जताई थी कि किसी भी शिक्षण संस्था को अपने कर्मियों के अधिकारों से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने निर्देश दिया कि यदि किसी शिक्षक या स्टाफ का कार्य संतोषजनक है, तो उसे उसका हक — वेतन और प्रमाण पत्र — समय पर मिलना चाहिए।
रातोरात जारी हुआ भुगतान, शिक्षिका ने जताया आभार
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के बाद रातोंरात स्कूल ने शिक्षिका कनिका मदान का वेतन भुगतान और अनुभव प्रमाण पत्र तैयार कर दिया।
शनिवार को कनिका अपनी नन्ही बेटियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचीं और डीएम सविन बंसल को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने स्वयं उन्हें अनुभव प्रमाण पत्र सौंपा।
कनिका ने भावुक होकर कहा — “मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतने कम समय में न्याय मिलेगा। जिलाधिकारी सर ने जो किया, वह सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि हर उस शिक्षिका के लिए उम्मीद की किरण है, जिसे उसका हक नहीं मिल पाता।”
संवेदनशील प्रशासन की मिसाल
डीएम सविन बंसल अपनी जनसुनवाई और संवेदनशील प्रशासनिक रवैये के लिए लगातार चर्चा में रहते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जनकल्याण से जुड़े मुद्दों पर उनकी निर्णायक भूमिका ने आम जनता का विश्वास बढ़ाया है।
उनके नेतृत्व में जिला प्रशासन “शून्य सहिष्णुता” की नीति पर काम कर रहा है — खासकर निजी संस्थानों द्वारा कर्मचारियों के शोषण के मामलों में।
इडिफाई स्कूल का यह मामला इस बात का प्रमाण है कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता से बड़े-बड़े नामी संस्थानों को भी जवाबदेह बनाया जा सकता है।
जनता दर्शन से मिला न्याय, बढ़ा जनता का भरोसा
देहरादून कलेक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन अब केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि लोगों के लिए न्याय का एक सशक्त माध्यम बन गया है। हर दिन 40–50 नागरिक जिलाधिकारी के कक्ष में अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं, और अधिकतर मामलों में समाधान तत्काल या कुछ ही दिनों में किया जाता है। कनिका मदान का मामला इसका ताज़ा उदाहरण है कि यदि शिकायत सही है, तो प्रशासन किसी भी स्तर पर कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाता।
संदेश स्पष्ट — अन्याय बर्दाश्त नहीं
डीएम सविन बंसल ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी निजी संस्था या शैक्षणिक संस्थान यदि शिक्षकों या कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का उद्देश्य केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखना नहीं, बल्कि हर नागरिक को न्याय दिलाना और शोषण-मुक्त वातावरण बनाना है।
जनहित में प्रशासन की नई छवि
देहरादून प्रशासन की नई कार्यशैली ने न केवल जनता में भरोसा जगाया है, बल्कि निजी संस्थानों में भी जवाबदेही का माहौल बनाया है। कनिका मदान का यह मामला इस बात की मिसाल बन गया है कि जब प्रशासन तत्पर और निष्पक्ष हो, तो कोई भी “बड़ा नाम” भी जनता के हक के सामने टिक नहीं सकता।
देहरादून की शिक्षिका कनिका मदान को मिला यह न्याय सिर्फ एक वेतन विवाद का समाधान नहीं, बल्कि संवेदनशील शासन की जीत है। यह उदाहरण बताता है कि यदि प्रशासन सजग हो तो किसी भी अन्याय को रोका जा सकता है। डीएम सविन बंसल का यह कदम जनहित प्रशासन की उस नई सोच का प्रतीक है, जो जनता के विश्वास को और गहराई से मजबूत कर रहा है।



