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देहरादून: रैंकिंग की अंधी दौड़ में फंसाए जा रहे नौनिहाल, विद्यालय कर रहे भविष्य से खिलवाड़

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उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) द्वारा एक निजी विद्यालय में बड़ी संख्या में कक्षा 11 के छात्रों को अनुत्तीर्ण किए जाने की गंभीर शिकायत पर निरंतर प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में आज दिनांक 3 जून 2025 को आयोग कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि श्री प्रेमलाल भारती (जिला शिक्षा अधिकारी), श्री रामबाबू विमल (कोऑर्डिनेटर), सचिव, अनु सचिव तथा आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना की उपस्थिति रही। साथ ही, सभी संबंधित अभिभावकगण भी बैठक में उपस्थित रहे।

इस बैठक के दौरान शिक्षा विभाग द्वारा आयोग को भेजे गए सीलबंद दस्तावेज़ों को सार्वजनिक रूप से खोला गया, जिनमें स्कूल के विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम सम्मिलित थे। इन परिणामों को सभी पक्षों के समक्ष पढ़कर सुनाया गया एवं निष्पक्ष रूप से साझा किया गया।

परीक्षा परिणाम आयोग द्वारा शिक्षा महानिदेशक एवं ICSE बोर्ड को प्रेषित

आयोग ने परीक्षा से संबंधित दस्तावेज़ों की एक प्रति:

  • उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक को अग्रेषित की है।

  • साथ ही, ICSE बोर्ड को भी पत्र सहित प्रेषित किया गया है, ताकि विद्यार्थियों के अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्थानांतरण की प्रक्रिया में कोई बाधा न उत्पन्न हो।

अभिभावकों को स्वतंत्रता – किसी भी विद्यालय में प्रवेश का विकल्प

बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि सभी अभिभावक अपने बच्चों के शैक्षिक भविष्य हेतु किसी भी मान्यता प्राप्त विद्यालय — चाहे वह विद्यालय हो या अन्य कोई संस्थान — में प्रवेश लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं। आयोग इस प्रक्रिया में हरसंभव सहयोग प्रदान करेगा।

विद्यालय के विरुद्ध विधिक कार्रवाई प्रारंभ

शिक्षा विभाग एवं SCPCR के निर्देशों की अनदेखी और उल्लंघन के चलते विद्यालय के विरुद्ध विधिक कार्रवाई प्रारंभ की जा रही है। आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा,

“आजकल के विद्यालय बोर्ड परीक्षा की रैंकिंग के दबाव में बच्चों को जानबूझकर फेल कर रहे हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है। विद्यालयों को यह समझना होगा कि यह उनका नैतिक और संवैधानिक दायित्व है कि हर बच्चे को गरिमा, सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। हम यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं कि कोई भी बच्चा मानसिक उत्पीड़न, शैक्षिक वंचना या अनुचित दबाव का शिकार न बने।”

इसी वजह से आयोग इस विषय को गंभीरता से ले रहा है और दोषी संस्थानों के विरुद्ध आवश्यक कदम उठा रहा है, ताकि बच्चों के शिक्षा के अधिकार की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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