
देहरादून, 4 अगस्त 2025। उत्तराखंड सरकार ने डॉ. मो. शाह हसन, प्रभारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (ACMO), चमोली को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के बाद की गई, जिसमें शासन ने अनुशासन और सेवा-नैतिकता के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ को दोहराया है।
डॉ. हसन पर आरोप है कि उन्होंने हाल ही में रुद्रप्रयाग जनपद के तिलणी क्षेत्र में अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी से दो बाइक सवारों को टक्कर मारी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के समय शराब के नशे में होने का भी उल्लेख है।
स्वास्थ्य सेवा की गरिमा पर लगा सवालिया निशान
घटना की रिपोर्ट 3 अगस्त 2025 को महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को सौंपी गई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि डॉ. हसन का व्यवहार उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके आधार पर, उत्तराखंड अपील एवं अनुशासन नियमावली 2003 के नियम-4 के तहत राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त कर उन्हें निलंबित किया गया।
स्वास्थ्य सचिव की दो टूक: सेवा नैतिकता से कोई समझौता नहीं
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा,
“मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। सेवा अनुशासन के उल्लंघन पर सरकार की नीति साफ है—जीरो टॉलरेंस।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह घटना न केवल पीड़ितों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र की साख को भी प्रभावित करती है। ऐसे मामलों में सरकार भविष्य में भी कठोर और अनुशासनात्मक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।
निष्पक्ष जांच के आदेश, रुद्रप्रयाग में रहेंगी तैनाती
निलंबन के दौरान डॉ. हसन को रुद्रप्रयाग मुख्यालय पर तैनात रखा गया है, जहां से वे विभागीय जांच में सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि जांच पूर्ण पारदर्शिता, निष्पक्षता और समयबद्धता के साथ की जाए। आरोप सिद्ध होने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
🧾 पृष्ठभूमि में क्यों है मामला गंभीर?
- डॉ. हसन एक वरिष्ठ अधिकारी थे और जनपद चमोली में कार्यरत थे।
- सार्वजनिक स्थान पर नशे में वाहन चलाना, स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी से अशोभनीय आचरण माना गया।
- यह घटना जनता के स्वास्थ्य तंत्र पर भरोसे को गहरा आघात पहुंचाती है।
उत्तराखंड सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि राज्य में अधिकारियों की जवाबदेही और सेवा मानकों में कोई ढील नहीं दी जाएगी। यह मामला भविष्य में अन्य अधिकारियों के लिए भी चेतावनी बन सकता है कि सरकारी सेवा में शिष्टाचार और उत्तरदायित्व की अवहेलना को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।