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उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर असमंजस जारी, प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त

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देहरादून, 29 मई 2025 : उत्तराखंड राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। जहाँ एक ओर राज्य सरकार चुनाव की तैयारियों का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने से प्रदेश की पंचायतें शून्यता की स्थिति में पहुँच गई हैं। इससे स्थानीय प्रशासनिक निर्णयों में ठहराव आ गया है।

नैनीताल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने 15 जुलाई तक चुनाव संपन्न कराने का आश्वासन दिया था। इसके तहत ओबीसी आरक्षण तय करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी और पंचायती राज संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी भी प्राप्त हो चुकी थी। लेकिन अब चुनाव की तिथियों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कोई स्पष्ट घोषणा नहीं आई है।

प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त

  • ग्राम पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो चुका है।

  • क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल आज, 29 मई की रात 12 बजे समाप्त हो जाएगा।

  • जिला पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल 31 मई को समाप्त होने जा रहा है।

राज्य सरकार ने 26 मई को प्रशासकों के कार्यकाल को छह महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव राजभवन भेजा था, लेकिन अब तक राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिल पाई है

प्रशासकों का कार्यकाल खत्म होने और चुनाव की तिथि तय न होने पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा:

“वर्तमान में प्रदेश की पंचायतें अनाथ हो गई हैं। अगर कोई आपात स्थिति हो जाती है, तो फैसला लेने वाला कोई नहीं है। सरकार यदि चुनाव के लिए तैयार है, तो अब तक चुनाव क्यों नहीं हुए?”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि:

“राज्य सरकार पंचायत चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। जैसे ही राज्य निर्वाचन आयोग तिथियां घोषित करेगा, उसी के अनुसार चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।”

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति अब प्रशासनिक शून्यता में बदल रही है। एक तरफ राज्य सरकार की चुनावी तत्परता के दावे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो जाने से स्थानीय शासन पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। अब सबकी निगाहें राज्यपाल की मंजूरी और राज्य निर्वाचन आयोग की तिथि घोषणा पर टिकी हैं।

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