
कांग्रेस कार्यालय कब्जे को लेकर बवाल जारी
अंदर मिले यूपी के 25 संदिग्ध, पुलिस कर रही जांच
कांग्रेस ने इस कब्जे को बताया राजनीतिक साजिश
नैनीताल। जिले के रामनगर कांग्रेस कार्यालय पर कथित कब्जे के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सोमवार सुबह से शुरू हुआ विवाद मंगलवार को भी जारी है। बीते रोज से जारी इस हाईवोल्टेज ड्रामे से अब प्रदेश की सियासत भी गरमाने लगी है। मंगलवार तड़के जब दरवाजे को खोला गया तो अंदर 25 संदिग्ध लोग पाए गए। जिसके बाद मामला और भी गरमा गया।
घटनाक्रम के अनुसार सोमवार सुबह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जानकारी मिली कि रामनगर-रानीखेत रोड पर स्थित उनके पार्टी कार्यालय पर कुछ बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है। मौके पर पहुंचे कार्यकर्ताओं ने पाया कि कार्यालय का ताला टूटा हुआ है और अंदर कुछ संदिग्ध लोग मौजूद हैं। इसके बाद कांग्रेस ने मोर्चा खोलते हुए कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया।
मंगलवार सुबह करीब 3 बजे जब कार्यालय का दरवाजा खोला गया तो अंदर कई लोग मौजूद मिले। अंदर 25 लोगों में से 24 पुरुष और एक महिला पाई गईं। पुलिस जांच में सामने आया कि ये सभी उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से हैं। जबकि, पहले दूसरे पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ये लोग स्थानीय हैं और एक निजी रिसॉर्ट में काम करते हैं।
वहीं, पुलिस ने लगातार कांग्रेसियों के दबाव के बाद सुबह 3 बजे कांग्रेस कार्यालय खोलकर सभी का सत्यापन किया और पाया कि इनमें से एक व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उस शख्स पर कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है। वहीं, बाकी लोगों की पृष्ठभूमि की जांच रामपुर पुलिस से भी करवाई जा रही है। दूसरी ओर कब्जे के आरोपों में घिरे भवन स्वामी नीरज अग्रवाल ने देर रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी कि कांग्रेस कार्यालय पर उनके ही लोग मौजूद थे, जो उनके रिसॉर्ट में कर्मचारी हैं और रामनगर के ही निवासी हैं, लेकिन पुलिस जांच में यह दावा झूठा निकला, जिससे मामले ने और ज्यादा गंभीर मोड ले लिया। मामले ने तब और उग्र रूप ले लिया, जब पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच रात को झड़प हुई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें कई कांग्रेस कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गए. कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन चंद्र कापड़ी, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, जसपुर विधायक आदेश चौहान और मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन समेत कई बड़े नेता सोमवार को ही रामनगर पहुंच गए थे। सभी ने सरकार और प्रशासन पर सत्ता के दबाव में काम करने के आरोप लगाए और रात भर धरने पर डटे रहे। पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत दी। जिसके आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कांग्रेस नेताओं की मांग है कि इन सभी बाहरी लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए और इस कब्जे के पीछे की साजिश का पर्दाफाश हो।
इस मामले को लेकर एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने बताया कि कांग्रेस पदाधिकारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने 25 लोगों का सत्यापन किया, जिसमें एक व्यक्ति पर आपराधिक मुकदमे दर्ज पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि नियम अनुसार कार्रवाई की जा रही है।
वहीं, बीजेपी खेमे से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कांग्रेस का कहना है कि यह मामला सिर्फ जमीन विवाद तक सीमित नहीं है। बल्कि, यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रायोजित साजिश है, जिसका मकसद विपक्ष को कमजोर करना है।