
नई दिल्ली | नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां हीराबेन को दिखाते हुए बिहार कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया एआई जनरेटेड वीडियो अब गहरी राजनीतिक और कानूनी हलचल का कारण बन गया है। इस वीडियो में हीराबेन को पीएम मोदी से तीखे सवाल करते हुए दिखाया गया है। बीजेपी ने इसे “नीच राजनीति” बताते हुए कांग्रेस पर सीधा हमला बोला है, वहीं साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा वीडियो बनाना और प्रसारित करना भारतीय कानून के तहत साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।
साइबर एक्सपर्ट: “डीपफेक इलेक्ट्रॉनिक फोर्जरी है”
साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा कि भारत में भले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कोई अलग से कानून न हो, लेकिन ऐसे वीडियो बनाना आईटी एक्ट 2000 और भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) के तहत आपराधिक अपराध है।
“किसी की सहमति के बिना उसकी छवि का इस्तेमाल कर एआई वीडियो बनाना और उसे बदनाम करने के मकसद से सोशल मीडिया पर डालना, एक तरह की इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी (Forgery) है। इसमें सीधे तौर पर एफआईआर दर्ज कर आरोपी पर मुकदमा चलाया जा सकता है।” – पवन दुग्गल, साइबर विशेषज्ञ
क्या कहता है कानून?
- आईटी एक्ट 2000 की धारा 66D
- इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी या पहचान का गलत इस्तेमाल करने पर लागू होती है।
- 3 साल तक की जेल और जुर्माना – दोनों का प्रावधान।
- यह जमानती अपराध है।
- आईटी एक्ट की धारा 66C
- किसी की आइडेंटिटी चोरी कर गलत उपयोग करने पर लागू।
- 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान।
- मानहानि का मामला (Defamation)
- किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और उसकी छवि को धूमिल करना।
- BNS 2023 की धारा के तहत अपराध।
- पीड़ित पक्ष अदालत में मानहानि का केस दायर कर सकता है।
कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक हमले तेज
भाजपा नेताओं ने इस वीडियो को लेकर बिहार कांग्रेस पर सीधा हमला बोला है। उनका कहना है कि मृत व्यक्तियों के नाम पर राजनीति करना और पीएम मोदी की छवि धूमिल करने का प्रयास करना “अत्यंत शर्मनाक और अनैतिक” है।
वहीं कांग्रेस का रुख अभी साफ नहीं है। पार्टी की ओर से यह वीडियो क्यों पोस्ट किया गया, इस पर आधिकारिक बयान का इंतजार है।
क्यों खतरनाक हैं डीपफेक वीडियो?
डीपफेक तकनीक के जरिए किसी की भी छवि, आवाज और वीडियो को बदलकर पूरी तरह से फर्जी लेकिन वास्तविक लगने वाला कंटेंट तैयार किया जा सकता है।
- इससे साइबर फ्रॉड, ब्लैकमेलिंग और राजनीतिक दुष्प्रचार का खतरा बढ़ जाता है।
- हाल ही में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को डीपफेक वीडियो पहचानने और तुरंत हटाने के निर्देश दिए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जता चुका है।
बिहार कांग्रेस का यह एआई वीडियो अब सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह कानूनी लड़ाई में भी बदल सकता है। यदि शिकायत दर्ज होती है तो पार्टी या संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आईटी एक्ट और BNS की धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है, जिसमें 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
यह मामला इस बात का भी संकेत है कि आने वाले समय में डीपफेक टेक्नोलॉजी भारतीय राजनीति का नया हथियार बन सकती है, जिसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े कानून और कड़ाई से लागू करना जरूरी होगा।