
देहरादून: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उत्तराखंड में लंबे समय से चला आ रहा संवैधानिक संकट अब सुलझने की ओर है। ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर मंत्रिमंडलीय उप समिति ने अपना अंतिम निर्णय ले लिया है, जिसे जल्द ही मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर आगामी 11 जून को होने वाली कैबिनेट बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए पहले से ही 22% आरक्षण निर्धारित है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता। ऐसे में ओबीसी के लिए अधिकतम लगभग 28% आरक्षण ही दिया जा सकता है।
पूर्व में राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का गठन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट पहले ही सरकार को सौंप दी थी। अब इस रिपोर्ट का परीक्षण मंत्रिमंडलीय उप समिति द्वारा किया गया है और उसी के आधार पर आरक्षण फार्मूले पर सहमति बनी है।
उप समिति द्वारा तैयार फार्मूले के अनुसार, ओबीसी आरक्षण को प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर अलग-अलग तय किया जा सकता है:
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जिला पंचायत अध्यक्ष: राज्य स्तर पर ओबीसी जनसंख्या (2011 की जनगणना के आधार पर) को आरक्षण का आधार बनाया जाएगा।
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जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख: जिले के स्तर पर ओबीसी जनसंख्या के अनुसार आरक्षण तय किया जाएगा।
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बीडीसी सदस्य और ग्राम पंचायत स्तर: संबंधित ब्लॉक की ओबीसी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की स्थिति तय होगी।
गौरतलब है कि 2011 के बाद अब तक नई जनगणना नहीं हुई है, इसलिए सभी गणनाएं 2011 की जनगणना पर आधारित होंगी।
राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और इन्हें 6 महीने का अस्थायी विस्तार भी दिया जा चुका है। लेकिन उसके बाद भी चुनाव नहीं हो सके हैं, जिससे संवैधानिक संकट की स्थिति बनी हुई थी। हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के शेष 12 जिलों में ही ये चुनाव होने हैं, क्योंकि हरिद्वार में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश के साथ होते हैं।
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सोमवार को मंत्रिमंडलीय उप समिति मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
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11 जून की कैबिनेट बैठक में इस पर प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
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कैबिनेट की मंजूरी के बाद चुनाव कार्यक्रम घोषित होने का रास्ता साफ होगा।
यह निर्णय न केवल लंबे समय से टल रहे पंचायत चुनावों के मार्ग को प्रशस्त करेगा, बल्कि ओबीसी वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों के तहत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।