
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के बीच जारी राजनीतिक गतिरोध के बावजूद मोदी सरकार आज लोकसभा में एक महत्वपूर्ण खेल विधेयक पारित कराने की तैयारी में है। विपक्ष जहां मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर व्यापक चर्चा की मांग को लेकर एकजुट है, वहीं सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह इस मांग को स्वीकारने के पक्ष में नहीं है।
आज लोकसभा में ‘राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक’ (National Sports Governance Bill) को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य देश के खेल संगठनों के कामकाज में पारदर्शिता, जवाबदेही और संरचनात्मक सुधार लाना है।
विधेयक के अहम प्रावधान
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक में प्रस्तावित है कि सभी राष्ट्रीय खेल संघ (NSFs) को पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया, वित्तीय लेखा-जोखा और जवाबदेही तंत्र के अधीन लाया जाए। यह विधेयक खेल मंत्रालय के अधीन आने वाले निकायों को एक सुधारित निगरानी तंत्र के तहत लाने की मंशा रखता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह विधेयक पारित होता है, तो इससे भारतीय खेल संरचना में लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी, राजनीतिक हस्तक्षेप और वित्तीय अपारदर्शिता पर अंकुश लगेगा।
राज्यसभा में मणिपुर पर अहम प्रस्ताव
दूसरी ओर, राज्यसभा में आज गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त से छह महीने तक बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
मणिपुर में बीते महीनों में जारी जातीय संघर्ष, कानून व्यवस्था की चुनौतियां और राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए यह प्रस्ताव अहम माना जा रहा है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, राज्य में अब भी कई संवेदनशील क्षेत्रों में कर्फ्यू और सेना की तैनाती बनी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मणिपुर में हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं, जिस कारण केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन के विस्तार को आवश्यक मान रही है।
विपक्ष सरकार पर हमलावर
विपक्षी दलों ने सरकार पर जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने और संसद में सार्थक चर्चा से बचने का आरोप लगाया है। कांग्रेस और INDIA गठबंधन के अन्य घटक दलों ने लोकसभा में एकजुट होकर मतदाता सूची पुनरीक्षण की निष्पक्षता पर चर्चा की मांग दोहराई है। हालांकि अब तक सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।
संसद में जारी टकराव के बीच आज का दिन नीतिगत दृष्टिकोण से अहम हो सकता है। एक ओर जहां खेल विधेयक से भारत के खेल ढांचे में नई व्यवस्था की नींव रखी जा सकती है, वहीं मणिपुर पर राष्ट्रपति शासन के विस्तार का निर्णय पूर्वोत्तर भारत की संवेदनशील स्थिति को दर्शाता है।