EWS आरक्षण से इनकार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की मुहर: 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती में कोई बदलाव नहीं

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण लागू न करने के पहले के निर्णय को बरकरार रखा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह भर्ती प्रक्रिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा (EWS के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2020 के लागू होने से पहले शुरू हुई थी, इसलिए इस पर अधिनियम का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या कहा कोर्ट ने?
हाईकोर्ट की खंडपीठ (जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि) ने एकल पीठ के फैसले को यथावत रखते हुए कहा कि:
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भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत की तिथि 1 दिसंबर 2018 मानी जाएगी, जब पहली बार सरकार द्वारा भर्ती से संबंधित आदेश जारी हुआ।
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भले ही भर्ती विज्ञापन 17 मई 2020 को आया हो, लेकिन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी।
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18 फरवरी 2019 को जारी EWS संबंधी कार्यालय ज्ञापन बाद में अधिनियम द्वारा वैध घोषित हुआ, लेकिन यह भर्ती पर प्रभावी नहीं होगा, क्योंकि अधिनियम की धारा 13 कहती है कि यह पूर्व आरंभित प्रक्रियाओं पर लागू नहीं होगा।
प्रभावित याचिकाकर्ता और कोर्ट की टिप्पणी
EWS श्रेणी के अभ्यर्थियों ने यह याचिका दायर की थी कि उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाए क्योंकि नीति लागू होने की तिथि भर्ती विज्ञापन से पहले की थी। कोर्ट ने स्वीकार किया कि तकनीकी रूप से EWS आरक्षण लागू किया जा सकता था, लेकिन:
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पहले से नियुक्त अभ्यर्थियों को पक्षकार नहीं बनाया गया।
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EWS प्रमाणपत्र की जानकारी भर्ती के किसी भी स्तर पर नहीं मांगी गई।
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अब उस जानकारी को इकट्ठा करना और उसका प्रभावी उपयोग करना संभव नहीं है।
इसलिए, कोर्ट ने कहा कि अब EWS आरक्षण देना व्यावहारिक नहीं है और चयनित शिक्षकों की नियुक्ति को बिना पक्षकार बनाए चुनौती नहीं दी जा सकती।