नेहरू को बदनाम करने का आरोप: सोनिया गांधी का केंद्र पर बड़ा हमला, बोलीं— “इतिहास को अपने स्वार्थ के लिए फिर से लिखा जा रहा है”
नई दिल्ली में आयोजित ‘नेहरू केंद्र भारत’ के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि पंडित नेहरू की छवि और योगदान पर संगठित और योजनाबद्ध तरीके से हमला किया जा रहा है

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को केंद्र सरकार पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने और उनकी ऐतिहासिक विरासत को मिटाने की कोशिश का गंभीर आरोप लगाया। नई दिल्ली में आयोजित ‘नेहरू केंद्र भारत’ के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि पंडित नेहरू की छवि और योगदान पर संगठित और योजनाबद्ध तरीके से हमला किया जा रहा है, जो न सिर्फ अनुचित है बल्कि राष्ट्र की बुनियादी आत्मा के लिए भी हानिकारक है।
सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि पंडित नेहरू न केवल आधुनिक भारत के प्रमुख निर्माता थे, बल्कि उनके आदर्श, दृष्टिकोण और संस्थागत विकास की नीतियों ने देश को आज जिस लोकतांत्रिक ढांचे और विविधतापूर्ण समाज का स्वरूप दिया है, उसकी नींव रखी। उनका कहना था कि नेहरू की भूमिका को कमजोर करके दरअसल भारत की मूल सोच और उसकी प्रगतिशील दिशा को चुनौती दी जा रही है।
“नेहरू की आलोचना हो सकती है, लेकिन अपमान नहीं”
अपने भाषण की शुरुआत में सोनिया गांधी ने कहा कि किसी भी बड़े नेता के कार्यों का विश्लेषण और आलोचना लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है, मगर आज जो प्रवृत्ति दिख रही है वह आलोचना नहीं, बल्कि सुनियोजित बदनामी है।
उन्होंने कहा:
“यह स्वाभाविक है कि पंडित नेहरू जैसे महान व्यक्तित्व के जीवन और कार्यों का विश्लेषण और आलोचना होती रहे। लेकिन आजकल एक व्यापक प्रवृत्ति दिख रही है कि उन्हें उनके समय, चुनौतियों और ऐतिहासिक संदर्भ से पूरी तरह अलग करके देखा जाए। उनके प्रति सुनियोजित तरीके से किया जा रहा अपमान, विकृति, तिरस्कार और बदनामी का अभियान अस्वीकार्य है।”
सोनिया गांधी का आरोप था कि यह अभियान केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि राष्ट्र की बुनियाद पर आघात है, क्योंकि नेहरू भारतीय लोकतंत्र, वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्षता और संस्थानों की मजबूती के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं।
“ऐसी ताकतें सत्ता में आ गई हैं जिनकी विचारधारा का आज़ादी की लड़ाई से कोई संबंध नहीं”
अपने भाषण के सबसे राजनीतिक और तीखे हिस्से में सोनिया गांधी ने कहा कि नेहरू को नीचा दिखाने की ये कोशिशें नई नहीं हैं, बल्कि दशकों से कुछ विचारधारात्मक समूह इस दिशा में काम कर रहे थे। उनके शब्दों में:
“ये वही लोग हैं जिनकी विचारधारा का हमारे स्वाधीनता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था, और न ही संविधान-निर्माण प्रक्रिया में कोई भूमिका। बल्कि, इन्होंने तो संविधान की प्रतियां जलाईं और खुलकर उसका विरोध किया था।”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसी विचारधाराएं समाज में घृणा फैलाने की राजनीति को बढ़ावा देती रही हैं और इसी वातावरण ने अंततः महात्मा गांधी की हत्या जैसी त्रासदी को जन्म दिया। सोनिया गांधी ने एक बार फिर आरोप दोहराया कि आज भी ऐसे तत्व खुलेआम राष्ट्रपिता के हत्यारों का महिमामंडन कर रहे हैं।
“नेहरू की विरासत को ध्वस्त कर इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश”
कांग्रेस नेता ने कहा कि पंडित नेहरू को छोटा दिखाकर कुछ राजनीतिक ताकतें अपने स्वार्थपूर्ण एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती हैं। सोनिया गांधी ने कहा:
“इस अभियान का उद्देश्य न सिर्फ उन्हें व्यक्तित्व के रूप में छोटा करना है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और आज़ाद भारत के शुरुआती वर्षों में उनके नेतृत्व को कमजोर करना भी है। उनकी बहुआयामी विरासत को ध्वस्त कर इतिहास को अपने तरीके से फिर से लिखने की कुत्सित कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने केंद्र सरकार पर इशारों में आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्मृतियों, संस्थाओं और प्रतीकों को बदला जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के वास्तविक इतिहास और उसके नेताओं को समझ न पाएं।
नेहरू केंद्र भारत का उद्देश्य
उद्घाटन समारोह में मौजूद तमाम बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों और राजनीतिक हस्तियों के बीच सोनिया गांधी ने कहा कि “नेहरू केंद्र भारत” का गठन इस बात को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि पंडित नेहरू के विचार, उनके लेखन, उनकी नीतियां और भारत के निर्माण में उनका अटूट योगदान व्यापक रूप से लोगों तक पहुंचे और भावी पीढ़ियां उनसे प्रेरणा ले सकें।
इस केंद्र में नेहरू के भाषणों, लिखित दस्तावेजों, पत्राचार, विदेश नीति दस्तावेजों और भारत की संस्थागत विकास पर आधारित अध्ययनों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा देश भर में संवाद, कार्यशालाएं और शोध कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं।
कांग्रेस का राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट
सोनिया गांधी का यह भाषण ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच इतिहास, शिक्षा और विचारधारा को लेकर बहसें पहले से अधिक तीखी हो चुकी हैं। बीते वर्षों में नेहरू की नीतियों, उनकी विदेश नीति, कश्मीर नीति, चीन से जुड़े फैसलों समेत कई मुद्दों पर सत्ताधारी दल लगातार सवाल उठाता रहा है, जबकि कांग्रेस ने यह आरोप लगाते हुए पलटवार किया है कि सरकार ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पंडित नेहरू की विरासत भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक संस्थाओं का मूल आधार है, और उस पर हमला दरअसल इन मूल्यों पर हमला है।
निष्कर्ष
सोनिया गांधी के इस बयान ने एक बार फिर इतिहास, राष्ट्रवादी नैरेटिव और स्वतंत्रता आंदोलन की व्याख्या को लेकर चल रही राजनीतिक बहस को नए सिरे से हवा दे दी है।
उनका आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों में देश की राजनीति में इतिहास को लेकर टकराव बढ़ा है और attempts are being made to redefine the national memory. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार और सत्ताधारी दल की ओर से इस भाषण पर कैसी प्रतिक्रिया आती है, क्योंकि कांग्रेस की यह टिप्पणी सीधा हमला मानी जा रही है।



