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Bihar: जातिगत गणना पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक, अब 3 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातिगत गणना पर अंतरिम रोक लगा दी है. अब मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. नीतीश सरकार के लिए ये बहुत बड़ा झटका है. बिहार में जाति आधारित सर्वे को जातिगत जनगणना या जातीय गणना भी कहा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित सर्वे को रद्द करने के लिए याचिकाएं दाखिल हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था. सर्वोच्‍च न्‍यायालय का कहना था कि यचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं. प्रथम दृष्‍टया ये ‘पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ लगती है. बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि ये सर्वे आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है. इसी के आधार पर भविष्‍य में लोककल्‍याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी.

बिहार की इस जातिगत गणना पर कई लोग सवाल उठ रहे हैं. क्‍या बिहार सरकार जातिगत गणना कराने की कार्यवाही की जा रही है वह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है? क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत गणना करवाए जाने का अधिकार देता है? क्या 6 जून को बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना गणना कानून 1948 के खिलाफ है? क्या कानून के अभाव में जाति गणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है? क्या राज्य सरकार का जातिगत गणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक दलों द्वारा एकसमान निर्णय से लिया गया हैं?

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