केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 31 जनवरी, 2023 को संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि कृषि क्षेत्र पिछले छह वर्षों से 4.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर से मजबूत बढ़ोतरी दर्शा रहा है। इससे कृषि और संबद्ध गतिविधियां क्षेत्र देश के समग्र प्रगति विकास और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने में समर्थ रहा। इसके अलावा हाल के वर्षों में देश कृषि उत्पादों के सकल निर्यातक के रूप में उभरा है और वर्ष 2021-22 में निर्यात 50.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है।
यह सर्वेक्षण सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण इस क्षेत्र की प्रगति और मजबूती हुई है ताकि फसल और पशुधन उत्पादकता, मूल्य समर्थन (न्यूनतम समर्थन मूल्य), फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने और क्रेडिट उपलब्धता बढ़ाने, मशीनीकरण में मदद करने, बागवानी और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के माध्यम से किसानों की आय की गारंटी सुनिश्चित हुई है।
यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि यह उपाय किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में समिति की सिफारिशों के अनुकूल है।
उत्पादन लागत की तुलना में आय सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)
सरकार सभी 22 खरीफ, रबी और वाणिज्यिक फसलों के लिए वर्ष 2018-19 कृषि वर्ष से उत्पादन लागत की अखिल भारतीय भारित औसत की तुलना में कम से कम 50 प्रतिशत मार्जिन के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा रही है। बदलते हुए खान-पान के पैटर्न के साथ गति बनाए रखने और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करने के लिए दालों और तिलहनों के अपेक्षाकृत रूप से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए गए है।
कृषि क्रेडिट के लिए बढ़ायी गयी पहुंच
सरकार ने वर्ष 2022-23 में कृषि क्रेडिट प्रवाह में 18.5 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया था। सरकार ने प्रत्येक वर्ष इस लक्ष्य में लगातार वृद्धि की है और सरकार पिछले कुछ वर्षों से हर वर्ष निर्धारित लक्ष्य को पीछे छोड़ने में समर्थ रही है। यह 16.5 लाख करोड़ के निर्धारित लक्ष्य से लगभग 13 प्रतिशत अधिक है।
स्रोत : डीएएफडब्ल्यू और कृषि सांख्यिकी से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2021 की एक झलक
यह सर्वेक्षण सुझाव देता है कि यह उपलब्धि इस कारण संभव हुई क्योंकि सरकार ने किसानों को तुलनात्मक रूप से कम ब्याज दरों – किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत कई पहलों की शुरूआत की गई है। यह योजना किसी भी समय क्रेडिट उपलबध कराती है और ब्याज माफी योजना को संशोधित करती है, जो रियायती ब्याज दर पर किसानों को तीन लाख तक का अल्पकालिक कृषि ऋण उपलबध कराती है।
किसान क्रेडिट कार्ड 3.89 करोड़ पात्र किसानों को जारी किए गए है, जिनकी केसीसी सीमा दिसम्बर, 2022 के अनुसार 4,51,672 करोड़ रुपये है। भारत सरकार ने 2018-19 में केसीसी सुविधा मत्स्य पालन और पशुपालन किसानों तक विस्तारित की है और अब मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए 17 अक्टूबर 2022 के अनुसार एक लाख से अधिक केसीसी और पशुपालन क्षेत्र के लिए 4 नवम्बर, 2022 के अनुसार 9.5 लाख केसीसी स्वीकृत किए गए है।
आय और जोखिम सहायता
सर्वेक्षण में बताया गया है कि पीएम किसान के अप्रैल–जुलाई 2022-23 चक्र के तहत सरकार से 11.3 करोड़ किसानों को आय सहायता प्राप्त हुई है। इस योजना में पिछले तीन वर्ष के दौरान जरूरतमंद किसानों को दो लाख करोड़ से अधिक की सहायता उपलबध कराई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि इस योजना ने कृषि सामान खरीदने के लिए किसानों के नगदी अवरोधों को दूर करने में मदद की है और इसके अलावा छोटे और सीमांत किसानों को अपनी दैनिक खपत, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आकस्मिक खर्चों को पूरा करने में मदद की है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है, जिसमें किसानों की सबसे अधिक भागीदारी है। इसके तहत औसत रूप से हर साल 5.5 करोड़ आवेदन प्राप्त होते हैं। यह योजना प्रीमियम प्राप्त करने, नोट्स और सर्वेक्षण के रूप में तीसरी सबसे बड़ी योजना है। इस योजना के लागू होने के पिछले छह वर्षों के दौरान किसानों ने 25,186 करोड़ रुपये का प्रीमियम भुगतान करके 31 अक्टूबर, 2022 के अनुसार 1.2 लाख करोड़ रुपये की दावा राशि प्राप्त की है। इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि किसानों में इस योजना की स्वीकार्यता का पता इसी बात से चलता है कि गैर ऋण प्राप्त करने वाले, सीमांत और छोटे किसानों की हिस्सेदारी इस योजना के 2016 में शुरूआत होने से अब तक 282 प्रतिशत बढ़ गई है।
कृषि यांत्रिकीकरण – उत्पादकता बढ़ाने वाली चाबी
कृषि जोत के स्वामित्व का औसत आकार में लगातार गिरावट का रूख दखा जा रहा है, इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण ने यह सुझाव दिया है कि छोटी जोत वाले किसानों के लिए मशीनें व्यावहारिक और सक्षम हैं और उत्पादकता बढ़ाने की कुंजी है। कृषि यांत्रिकीकरण (एसएमएएम) के उपमिशन के अंतर्गत 21,628 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 467 हाईटैक केन्द्र और 18,306 फार्म मशीनरी बैंक दिसम्बर, 2022 के अनुसार स्थापित किए गए हैं, जो कृषि मशीनरी उपयोग के प्रशिक्षण और प्रदर्शन के साथ राज्य सरकारों की मदद कर रहे हैं। फार्म मशीनरीकरण अतिरिक्त रूप से खेती की लागत को कम करते है और कृषि प्रचालनों से जुड़े हुए कार्यों में मदद करते हैं।
जैविक और प्राकृतिक खेती
भारत विश्व में जैविक खेती की संख्या में सबसे आगे है। सर्वेक्षण के अनुसार 2021-22 तक जैविक खेती के तहत 44.3 लाख और 59.1 लाख हेक्टेयर रकबा लाया गया है। जैविक और प्राकृतिक खेती रसायन और कीटनाशक, मुफ्त खाद्यान्न और फसलें उपलब्ध कराते हैं और जमीन के स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर पर्यावरणीय प्रदूषण कम करते है।
सरकार दो समर्थित योजनाओं यानी परम्परागत कृषि विकास योजना और मिशन ऑर्गेनिक वेल्यू चैन डेवलपमेंट द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। यह योजना कलस्टर और किसान उत्पादक संगठनों के गठन के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र में लागू की गई है। पीकेवीवाई के तहत कुल 6.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के 32,384 कलस्टरों और 16.1 लाख किसानों को नवम्बर 2022 के अनुसार इस योजना में शामिल किया गया है। इसी प्रकार एमओवीसीडीएनईआर, 177 एफपीओ/एफपीसी सृजित किए गए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में फसलों की जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ लाख किसानों और 1.7 लाख हेक्टेयर भूमि को इस योजना में शामिल किया गया है।
किसानों की मदद करने वाली योजना भारतीय प्राकृतिक किसान पद्धति के तहत जीरो बजट प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) सहित परम्परागत और इकोलॉजिकल कृषि प्रथाओं की सभी किस्मों को अपनाने के लिए 4.09 लाख कृषि भूमि को इन आठ राज्यों में प्राकृतिक खेती के तहत लाया गया है।