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वाशिंगटन : हमें ‘सबके लिए–एक नियम’ आधारित दृष्टिकोण से बचने की आवश्यकता है : निर्मला सीतारमण

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वित्त मंत्री ने वाशिंगटन डीसी में विकास समिति (डीसी) की बैठक में भाग लिया

श्रीमती सीतारमण ने खाद्य और ऊर्जा संकट में तथा जलवायु और विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए वित्त पोषण के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विश्व बैंक का समर्थन किया

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वाशिंगटन डीसी में वार्षिक बैठक 2022 के दौरान विश्व बैंक-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (डब्लूबी-आईमएफ) संयुक्त विकास समिति (डीसी) की बैठक में भाग लिया।

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विकास समिति ने विशेष रूप से दो महत्वपूर्ण पहलुओं, जिनका पूरी दुनिया सामना कर रही है, पर चर्चा करने के लिए बैठक आयोजित की थी:

  • खाद्य और ऊर्जा संकट: चुनौती का सामना करना
  • जलवायु और विकास लक्ष्यों की प्राप्ति: वित्तीय प्रश्न

अपने उद्घाटन भाषण में, वित्त मंत्री ने कहा कि यह हमारे लिए विचार-विमर्श करने और इस बारे में सोचने का एक उत्कृष्ट अवसर है कि हम विभिन्न चुनौतियों का कैसे बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं और दीर्घकालिक विकास को वापस ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 7 प्रतिशत की अनुमानित विकास दर के बावजूद, हम वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण और भू-राजनीतिक वातावरण को लेकर चिंतित हैं।

सीतारमण ने कहा कि खाद्य और ऊर्जा संकट पत्र ने ऊर्जा दक्षता की “पसंद के पहले ईंधन” के रूप में पहचान की है। इसी तरह, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फसल हानि और खाद्य की बर्बादी को कम करना भी “पसंद का पहला तौर-तरीका” होना चाहिए।

वित्त मंत्री ने विश्व बैंक से सब्सिडी के एकसमान दृष्टिकोण को नज़रअंदाज करने और विकृत सब्सिडी और कमजोर परिवारों को लक्षित समर्थन के बीच अंतर करने का आग्रह किया।

एक उदाहरण के रूप में भारत का हवाला देते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पिछले छह वर्षों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देकर भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत में लगभग सभी महिलाओं को खाना पकाने के स्वच्छ तरीकों तक पहुंच प्राप्त हो। इसने एसडीजीएस 3, 5 और 7 पर भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के लिए हमारे ऊर्जा मिश्रण से जीवाश्म ईंधन को बाहर रखना थोडा मुश्किल लगता है, लेकिन भारत ने इस वर्ष अपना पहला शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र और अपनी पहली 2जी बायोएथेनॉल रिफाइनरी स्थापित की है।

सीतारमण ने कहा कि विश्व बैंक समूह के लिए 3 स्पष्ट अवसर मौजूद हैं:

  • ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और खाद्य के नुकसान को कम करने के लिए व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना। जून 2022 में विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किए गए पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ) जैसे कार्यक्रम, जिसमें विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष श्री डेविड मलपास ने एक शानदार भाषण दिया, उपभोग के जिम्मेदार व्यवहार को मुख्यधारा में ला सकते हैं।
  • नवीकरणीय और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में रियायती वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की व्यवस्था करने में सभी सदस्य देशों की सहायता करना।
  • न केवल अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (आईबीआरडी) के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण का समर्थन करना।

जलवायु और विकास लक्ष्यों के वित्तपोषण पर, वित्त मंत्री ने कहा कि डब्ल्यूबीजी की भूमिका; जलवायु और विकास वित्तपोषण हेतु एक निवेश रणनीति विकसित करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाने में बहुत महत्वपूर्ण है। फिर भी, दुनिया को कभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के प्राथमिक सिद्धांत से ध्यान नहीं हटाना चाहिए। हमें ‘सबके लिए–एक नियम’ आधारित दृष्टिकोण से बचने की आवश्यकता है।

सीतारमण ने कहा कि निजी पूंजी आकर्षित करने के लिए जोखिमों को कम करना आवश्यक है। स्केल (एससीएएलई) की शुरुआत का स्वागत करते हुए, वित्त मंत्री ने विश्व बैंक को, वर्तमान 5 प्रतिशत स्तर से अनुदान की हिस्सेदारी बढ़ाने और राष्ट्रीय सीमाओं से परे विशाल जलवायु प्रभाव वाली परियोजनाओं का समर्थन करने हेतु देश स्तर से नीचे काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।

सीतारमण ने सीसीडीआरएस के निर्माण के दौरान प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श को प्राथमिकता देने और उनकी सफलता के लिए “वन बैंक” दृष्टिकोण का पालन करने का आह्वान किया।

विश्व बैंक से अग्रणी भूमिका निभाने और एमडीबीएस में आम सहमति बनाने में मदद करने का आग्रह करते हुए, वित्त मंत्री ने जी20 द्वारा शुरू किए गए एमडीबी पूंजी पर्याप्तता फ्रेमवर्क की स्वतंत्र समीक्षा की सिफारिशों पर जोर दिया, जो स्थायी वित्तपोषण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

संयुक्त डब्ल्यूबी-आईएमएफ विकास समिति, विश्व बैंक और आईएमएफ के बोर्ड की वार्षिक बैठकों के समय शीत ऋतु में और प्रत्येक वसंत ऋतु में विश्व बैंक और आईएमएफ के काम की प्रगति पर चर्चा करने के लिए बैठकें आयोजित करती है। वार्षिक बैठक की परंपरा के बाद, विकास समिति तीन में से दो साल वाशिंगटन में बैठक करती है और दोनों संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय चरित्र को प्रतिबिंबित करने के लिए, हर तीसरे वर्ष एक अलग सदस्य देश में बैठक आयोजित करती है।

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