
उत्तरकाशी | न्यूज़ डेस्क उत्तराखंड अपनी स्थापना के 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस ऐतिहासिक ‘रजत जयंती वर्ष’ के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय “देवभूमि रजत उत्सव” का समापन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजनरी संबोधन और भविष्य के रोडमैप के साथ हुआ। यह उत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि पिछले ढाई दशकों की उपलब्धियों का लेखा-जोखा और ‘अगले दशक को उत्तराखंड का दशक’ बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम बनकर उभरा है।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर “शीतकालीन चारधाम यात्रा” का शंखनाद करते हुए स्पष्ट किया कि उत्तराखंड अब केवल छह महीने का पर्यटन राज्य नहीं, बल्कि ‘ऑल वेदर’ डेस्टिनेशन बनने की ओर अग्रसर है।
1. राज्य आंदोलनकारियों को नमन और मातृशक्ति का वंदन
उत्सव के अंतिम दिन दीप प्रज्वलित कर मुख्यमंत्री ने उन वीर शहीदों को याद किया जिनके बलिदान से देवभूमि का सपना साकार हुआ। विशेष रूप से ‘उत्तराखंड के गांधी’ स्व. इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सीएम ने कहा कि आज का सशक्त उत्तराखंड उन्हीं के संघर्षों की नींव पर खड़ा है।
मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, “हमारी मातृशक्ति ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की असली रीढ़ है। आज उत्तराखंड की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से न केवल स्वावलंबी बन रही हैं, बल्कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।”
2. ‘रिवर्स पलायन’ और सुधरती अर्थव्यवस्था के आंकड़े
उत्तराखंड के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से ‘पलायन’ रही है। लेकिन इस रजत उत्सव के मंच से मुख्यमंत्री ने उत्साहजनक आंकड़े पेश किए:
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रिवर्स पलायन में 44% की वृद्धि: पलायन निवारण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी नीतियों और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसरों के कारण लोग अब गांवों की ओर लौट रहे हैं।
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लखपति दीदी योजना: केवल उत्तरकाशी जनपद में ही 12,000 से अधिक महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं, जो महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा वैश्विक उदाहरण है।
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बेरोजगारी पर प्रहार: पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से अब तक 26,500 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं।
3. इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी: बदलती देवभूमि की तस्वीर
उत्तराखंड आज देश के अन्य हिमालयी राज्यों की तुलना में तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है।
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सिल्क्यारा टनल: यमुनोत्री और गंगोत्री के बीच की दूरी कम करने वाली यह सुरंग अपने अंतिम चरण में है। इससे न केवल स्थानीय निवासियों को सुविधा होगी, बल्कि पर्यटन को भी नई गति मिलेगी।
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स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: सीमांत क्षेत्रों में बेहतर इलाज के लिए उत्तरकाशी में 23 करोड़ की लागत से 50 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट और पुरोला में उपजिला अस्पताल का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
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सतत विकास (SDG): नीति आयोग के ‘सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स’ में उत्तराखंड का देश में प्रथम स्थान पर आना इस बात का प्रमाण है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बेहतर ढंग से बनाया जा रहा है।
4. ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को धरातल पर उतारते हुए धामी सरकार ने ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड लॉन्च किया है। इसके माध्यम से उत्तराखंड के हस्तशिल्प, पहाड़ी दालें, फल और बुनाई उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार मिल रहा है। ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) और ‘एक जिला, एक उत्सव’ की नीति ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दी है।
5. शीतकालीन चारधाम यात्रा: पर्यटन का नया अध्याय
इस उत्सव का एक मुख्य आकर्षण शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहन देना रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्दियों के दौरान जब मुख्य धामों के कपाट बंद होते हैं, तब भगवान के शीतकालीन प्रवास स्थलों (जैसे मुखवा और हर्षिल) में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे स्थानीय होमस्टे व्यवसायियों को साल भर रोजगार मिलेगा और उत्तराखंड की शीतकालीन सुंदरता से दुनिया परिचित होगी।
6. कानून-व्यवस्था और सांस्कृतिक सुरक्षा: ‘कड़े फैसले, सुरक्षित देवभूमि’
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कड़े कानूनों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान से समझौता नहीं किया जाएगा।
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समान नागरिक संहिता (UCC): उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने UCC लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया।
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धर्मांतरण और लैंड जिहाद: सरकारी भूमि से अवैध अतिक्रमण हटाने और सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने को सरकार ने अपनी बड़ी उपलब्धि बताया।
7. डिजिटल प्रदर्शनी और सांस्कृतिक वैभव
उत्सव के दौरान लगाई गई डिजिटल प्रदर्शनी युवाओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। इसमें 25 साल के विकास सफर को आधुनिक तकनीक और इंटरएक्टिव गेम्स के जरिए दिखाया गया। सायंकाल में संगीता ढौंडियाल और मशहूर ‘पांडावाज बैंड’ की प्रस्तुतियों ने देवभूमि की लोक संस्कृति की छटा बिखेरी।
निष्कर्ष: 25 से 50 की ओर एक नई उड़ान
उत्तराखंड का यह रजत उत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक प्रतिज्ञा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य ने पिछले 25 वर्षों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आज उत्तराखंड झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे समकालीन राज्यों से कई विकास मानकों में आगे निकल चुका है।



