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VB-G RAM G बिल पास: MGNREGA की जगह नई ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, राज्यसभा में आधी रात तक हंगामा और विपक्ष का 12 घंटे का धरना

नई दिल्ली: संसद ने गुरुवार को भारी हंगामे और तीखी राजनीतिक टकराव के बीच विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G बिल को पारित कर दिया। यह विधेयक करीब 20 साल पुरानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) की जगह लेगा। सरकार का दावा है कि यह नया कानून ग्रामीण भारत में रोजगार, कौशल और आजीविका को नई दिशा देगा, जबकि विपक्ष इसे महात्मा गांधी की विरासत पर हमला और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ करार दे रहा है।

VB-G RAM G बिल गुरुवार को पहले लोकसभा से पारित हुआ और इसके बाद देर रात करीब 12:30 बजे राज्यसभा से भी पास कर दिया गया। इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तीखा हंगामा, नारेबाजी, वॉकआउट और विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।

MGNREGA की जगह VB-G RAM G: क्या है नया कानून

VB-G RAM G बिल के तहत सरकार हर साल 125 दिन के ग्रामीण रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान कर रही है। सरकार का कहना है कि मौजूदा MGNREGA योजना समय के साथ कई व्यावहारिक और संरचनात्मक समस्याओं से जूझ रही थी, जिन्हें दूर करना जरूरी हो गया था।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, नई योजना में रोजगार के साथ-साथ आजिविका सृजन, कौशल विकास और स्थानीय जरूरतों के अनुसार काम को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार का दावा है कि यह योजना “वर्क-फॉर-वेज” मॉडल से आगे बढ़कर “वर्क-फॉर-डेवलपमेंट” की दिशा में कदम है।

विपक्ष का आरोप: गांधी का नाम हटाना और राज्यों पर बोझ

विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), वाम दलों और अन्य विपक्षी पार्टियों ने कहा कि MGNREGA से महात्मा गांधी का नाम हटाना केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि गांधी के विचारों और उनकी सामाजिक सोच का अपमान है।

विपक्ष का यह भी कहना है कि VB-G RAM G योजना के जरिए केंद्र सरकार राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल रही है, जबकि पहले से ही कई राज्य आर्थिक दबाव में हैं। विपक्षी सांसदों ने मांग की कि इस बिल को तुरंत वापस लिया जाए या कम से कम इसे संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाए।

राज्यसभा में वॉकआउट और कागज फाड़ने की घटना

राज्यसभा में बिल पास होने के दौरान माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया। विपक्ष के कई सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया, सरकार के खिलाफ नारे लगाए और बिल के कागज फाड़ दिए। इस पर सभापति सी पी राधाकृष्णन ने कड़ी नाराजगी जताते हुए सदस्यों को चेतावनी दी कि वे ट्रेजरी बेंच की ओर न जाएं और सदन की गरिमा बनाए रखें।

हंगामे के कारण कई बार कार्यवाही बाधित हुई, लेकिन अंततः सरकार ने संख्याबल के आधार पर बिल पास करा लिया।

संविधान सदन के बाहर 12 घंटे का धरना

बिल के पारित होने के बाद विपक्षी दलों का विरोध संसद के बाहर भी जारी रहा। कांग्रेस, TMC और अन्य विपक्षी दलों के सांसद संविधान सदन के बाहर रात भर करीब 12 घंटे तक धरने पर बैठे। विपक्ष ने इस धरने के जरिए सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी और संवेदनशील मुद्दों पर जबरन कानून बनाने का आरोप लगाया।

धरने के दौरान विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह लड़ाई केवल एक योजना की नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों, मजदूरों और गांधी की विचारधारा की है।

शिवराज सिंह चौहान का जवाब: कांग्रेस पर पलटवार

राज्यसभा में करीब पांच घंटे चली बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों के लिए कई बार महात्मा गांधी के आदर्शों को नजरअंदाज किया है।

शिवराज चौहान ने कहा,
“जो लोग आज गांधी जी के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, उन्होंने ही अतीत में उनके सिद्धांतों को कमजोर किया। यह बिल गांधी जी के विचारों के खिलाफ नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों को सशक्त करने की दिशा में एक कदम है।”

उन्होंने यह भी कहा कि MGNREGA में भ्रष्टाचार, देरी से भुगतान और सीमित उत्पादकता जैसी कई समस्याएं थीं, जिन्हें VB-G RAM G के जरिए दूर किया जाएगा।

सरकार का दावा: विकसित भारत की दिशा में कदम

सरकार का कहना है कि VB-G RAM G बिल “विकसित भारत” के विजन का अहम हिस्सा है। नई योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साथ-साथ स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती और पलायन को रोकने पर जोर दिया जाएगा।

सरकार यह भी दावा कर रही है कि तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से भुगतान में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी जॉब कार्ड जैसी समस्याओं पर लगाम लगेगी।

राजनीतिक मायने और आगे की राह

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि VB-G RAM G बिल केवल एक नीति परिवर्तन नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश भी है। MGNREGA जैसी लोकप्रिय योजना में बदलाव करना सरकार के लिए बड़ा और जोखिम भरा फैसला माना जा रहा है।

विपक्ष इस मुद्दे को आने वाले चुनावों में बड़ा राजनीतिक हथियार बना सकता है, जबकि सरकार इसे ग्रामीण सुधार और विकास की नई कहानी के रूप में पेश करने की कोशिश करेगी।

फिलहाल VB-G RAM G बिल संसद से पारित हो चुका है, लेकिन इसके राजनीतिक और सामाजिक असर आने वाले दिनों में और तेज होने तय माने जा रहे हैं।

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