
देहरादून: राजधानी देहरादून में जनसुरक्षा से खिलवाड़ और निर्धारित मानकों की अनदेखी पर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर त्वरित प्रतिक्रिया टीम (QRT) की सघन जांच के बाद उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) पर दो माह का प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही रोड कटिंग से जुड़ी पूर्व में जारी कार्य अनुमति तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई है।
जिलाधिकारी ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अनुमति की शर्तों का उल्लंघन दंडनीय होगा और यदि अनुमति निरस्त होने से कार्य में समय और लागत (Time & Cost Overruns) बढ़ती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित विभाग और कार्यदायी संस्था की होगी।
क्यूआरटी की आकस्मिक जांच, कई जगह गंभीर अनियमितताएं उजागर
जिलाधिकारी के निर्देश पर मंगलवार को उप जिलाधिकारी श्रीमती कुमकुम जोशी के नेतृत्व में क्यूआरटी ने देहरादून शहर के विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे रोड कटिंग कार्यों का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई स्थानों पर गंभीर सुरक्षा चूक और नियमों का उल्लंघन सामने आया।
जांच में पाया गया कि यूपीसीएल द्वारा सहारनपुर रोड (सब्जी मंडी चौक से आईएसबीटी तक) और जीएमएस रोड (बल्लूपुर चौक से सब्जी मंडी चौक तक) एडीबी द्वारा वित्तपोषित परियोजना Uttarakhand Climate Resilient Power System Development Project (UCRPSDP) के अंतर्गत ऊपर से गुजरने वाली विद्युत लाइनों को भूमिगत किए जाने का कार्य कराया जा रहा था। यह कार्य अधीक्षण अभियंता (ADB), लॉट-2, यूपीसीएल, ऊर्जा भवन, कांवली रोड के माध्यम से संचालित था।
रात की अनुमति, दिन में खुदाई — जनसुरक्षा पर संकट
निरीक्षण में यह तथ्य सामने आया कि परियोजना समन्वय समिति से प्राप्त अनुमति की शर्तों का घोर उल्लंघन किया जा रहा था। निर्धारित नियमों के अनुसार रोड कटिंग का कार्य रात्रि समय में किया जाना था, लेकिन इसके बावजूद दिन के समय भी सड़कें खोदी गईं, जिससे—
- यातायात बाधित हुआ
- दुर्घटना की आशंका बढ़ी
- आमजन की सुरक्षा खतरे में पड़ी
जिलाधिकारी ने इसे जनमानस की सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ करार दिया और संबंधित एजेंसी को कठोर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया।
बैरिकेटिंग और साइन बोर्ड नदारद, सड़कों पर मलबे का ढेर
क्यूआरटी के निरीक्षण के दौरान रिस्पना, आराघर चौक, कारगीदृमोथरोवाला रोड, दून यूनिवर्सिटी रोड, शिमला बाईपास रोड सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी गंभीर अनियमितताएं पाई गईं।
निरीक्षण में सामने आया कि—
- कार्यस्थलों पर अनिवार्य बैरिकेडिंग नहीं थी
- रिफ्लेक्टिव टेप और चेतावनी साइन बोर्ड गायब थे
- खुदाई से निकला मलबा सड़कों पर बिखरा पड़ा था
- मार्ग संकीर्ण हो गए थे, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई
ये सभी स्थितियां सुरक्षा मानकों के घोर उल्लंघन की श्रेणी में पाई गईं।
डीएम का सख्त फैसला: अनुमति निरस्त, दो माह का प्रतिबंध
अनुमति की शर्तों के गंभीर उल्लंघन को देखते हुए जिलाधिकारी द्वारा पूर्व में जारी रोड कटिंग अनुमति संख्या 6691/643 को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। इसके साथ ही यूपीसीएल को आगामी दो माह तक किसी भी प्रकार की रोड कटिंग अनुमति से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई निवारक और अनुशासनात्मक दोनों दृष्टियों से की गई है, ताकि भविष्य में कोई भी एजेंसी नियमों की अनदेखी करने का साहस न कर सके।
Time & Cost Overrun की जिम्मेदारी तय
जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि—
“यदि अनुमति निरस्त होने या प्रशासनिक कार्रवाई के कारण कार्य में समय या लागत की वृद्धि होती है, तो उसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग और कार्यदायी संस्था की होगी। इसके लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि सरकारी परियोजनाओं में अनुशासन, सुरक्षा और समयबद्धता सर्वोपरि है।
भविष्य के लिए कड़े निर्देश
जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों और कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिए हैं कि—
- किसी भी कार्य से पहले अनुमति की सभी शर्तों का पूर्ण पालन किया जाए
- सुरक्षा मानकों और यातायात प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाए
- कार्यस्थल पर बैरिकेडिंग, साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टिव व्यवस्था अनिवार्य हो
- जनसुविधा और जनसुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता न किया जाए
उन्होंने चेताया कि भविष्य में नियमों की अनदेखी करने पर और भी कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन का संदेश साफ
इस कार्रवाई के जरिए जिला प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि विकास कार्यों की आड़ में जनसुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वह कोई भी विभाग या एजेंसी क्यों न हो, नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई तय है।
निष्कर्ष
देहरादून में यूपीसीएल पर दो माह का प्रतिबंध और कार्य अनुमति निरस्तीकरण प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है। यह कार्रवाई न केवल संबंधित एजेंसी के लिए चेतावनी है, बल्कि शहर में कार्यरत सभी विभागों और ठेकेदारों के लिए भी स्पष्ट संदेश है कि अनुशासन, सुरक्षा और जवाबदेही से कोई समझौता नहीं होगा।



