देशफीचर्डमौसम

बंगाल की खाड़ी में बन रहा निम्न दाब क्षेत्र: तमिलनाडु में भारी बारिश का अलर्ट, आठ जिलों में ‘रेड वार्निंग’, स्कूल-कॉलेज बंद

चेन्नई, 22 अक्टूबर: बंगाल की खाड़ी के ऊपर विकसित हो रहा एक निम्न दाब क्षेत्र (Low Pressure Area) दक्षिण भारत के तटीय राज्यों के लिए खतरे की घंटी बन गया है। मौसम विभाग ने संकेत दिया है कि यह प्रणाली अगले 24 घंटे में चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकती है, जिससे तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटों पर भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है।

चेन्नई स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) की निदेशक बी. अमुधा ने बताया कि यह निम्न दाब क्षेत्र वर्तमान में चेन्नई तट से लगभग 400 किलोमीटर पूर्व में बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग में सक्रिय है। “मॉडल संकेत दे रहे हैं कि प्रणाली धीरे-धीरे पश्चिम-उत्तर दिशा की ओर बढ़ेगी और अगले 24 घंटों में यह अवदाब (Depression) के रूप में विकसित हो सकती है,” उन्होंने कहा।

आठ जिलों में रेड अलर्ट, चार जिलों में शैक्षणिक संस्थान बंद

तमिलनाडु सरकार ने विल्लुपुरम, कुड्डालोर, मयिलादुथुराई, नागपट्टिनम, तिरुवल्लूर, तंजावुर, पुदुकोट्टई और रामनाथपुरम जिलों में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। इन जिलों में अगले 48 घंटे में 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चार जिलों में स्कूल और कॉलेजों को बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं। वहीं, पड़ोसी केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी ने भी एहतियातन बुधवार को सभी शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश की घोषणा की है।

राज्य सरकार ने स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने और राहत टीमों को पहले से तैनात करने के निर्देश दिए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें भी नागपट्टिनम और कुड्डालोर में भेजी गई हैं, जहां समुद्र तट के किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।

चेन्नई में भारी बारिश से सड़कों पर जलभराव

राज्य की राजधानी चेन्नई को फिलहाल ‘ऑरेंज अलर्ट’ श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है 11 से 20 सेंटीमीटर तक की भारी बारिश। मंगलवार को शहर में औसतन 60 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिससे कई निचले इलाके जलभराव की चपेट में आ गए।
नगर निगम के अधिकारी लगातार जलनिकासी कार्यों में जुटे हैं। चेन्नई महानगर पालिका ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें और बिजली के खंभों या पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें।

बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का नया खतरा

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के ऊपर अक्टूबर से दिसंबर के बीच पूर्वोत्तर मानसून सक्रिय रहता है, जो दक्षिण भारत के लिए वर्षा का प्रमुख मौसम होता है। इस दौरान निम्न दाब प्रणालियों का बनना सामान्य है, लेकिन इस बार समुद्री सतह का तापमान 1.5 से 2 डिग्री अधिक रहने के कारण चक्रवाती गतिविधियाँ और तेज हो रही हैं।

आईएमडी के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एस. बालाचंद्रन ने बताया, “यदि प्रणाली अवदाब से गहरी होकर चक्रवात में बदलती है, तो इसका असर मुख्य रूप से उत्तरी तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटों पर पड़ेगा। 60-70 किमी प्रति घंटे तक की तेज हवाएं चल सकती हैं और समुद्र में ऊँची लहरें उठेंगी।”

सामान्य से 59% अधिक बारिश दर्ज

RMC के आँकड़ों के अनुसार, 1 से 21 अक्टूबर के बीच तमिलनाडु, पुडुचेरी और करिकल क्षेत्रों में औसतन 160 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जो इस अवधि के सामान्य औसत (100 मिमी) से लगभग 59 प्रतिशत अधिक है।
सबसे अधिक वर्षा नागपट्टिनम और मयिलादुथुराई जिलों में दर्ज की गई, जहाँ कई गांवों में खेत जलमग्न हो गए हैं। तटीय इलाकों में किसानों को फसल क्षति की आशंका सता रही है।

प्रशासन ने जारी की एहतियाती हिदायतें

राज्य सरकार ने आपातकालीन नियंत्रण कक्ष सक्रिय कर दिए हैं और मछुआरों को अगले तीन दिनों तक समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी है।
बिजली विभाग को सतर्क रहने और संभावित कटौती की स्थिति में त्वरित बहाली योजना लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा है।

चेन्नई नगर निगम के कमिश्नर जे. रमेश कुमार ने कहा, “बारिश की तीव्रता और जलभराव की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। सभी पंपिंग स्टेशन सक्रिय हैं, और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त राहत टीमों को बुलाया जाएगा।”

विशेषज्ञों की राय: जलवायु परिवर्तन का असर स्पष्ट

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण भारत में इस साल मानसून के बाद के महीनों में असामान्य रूप से अधिक वर्षा जलवायु परिवर्तन की सीधी निशानी है।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे की जलवायु वैज्ञानिक डॉ. मृणालिनी पाटिल कहती हैं, “बंगाल की खाड़ी में समुद्री तापमान का बढ़ना, हवा की नमी में वृद्धि और वैश्विक वायुमंडलीय अस्थिरता — ये तीन प्रमुख कारण हैं, जिनसे अब छोटी निम्न दाब प्रणालियाँ भी जल्दी चक्रवात में तब्दील हो जाती हैं।”

राहत-बचाव तैयारियों पर नजर

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मंगलवार शाम आपात बैठक में सभी जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा, “जनता की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रभावित जिलों में राहत शिविर तैयार रखे जाएं और जरूरत पड़ने पर बिजली व संचार बहाली की त्वरित व्यवस्था की जाए।”

मौसम विभाग ने अगले 72 घंटे तक लगातार मॉनिटरिंग की घोषणा की है। यदि प्रणाली चक्रवात का रूप लेती है, तो इसे ‘चक्रवात मंदर’ (Mandar) नाम दिया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button