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नई दिल्ली :उज़्बेकिस्तान और भारत के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति

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उज़्बेकिस्तान के उप प्रधानमंत्री जमशिद खोड़जाव तथा केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच आज नई दिल्ली में आयोजित बैठक में सार्थक चर्चा हुई। इस दौरान, दोनों देशों के मध्य कृषि क्षेत्र में जारी सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति हुई।

तोमर ने उज्बेकिस्तान के उप प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने पर श्री खोड़जाव को बधाई देते हुए कहा कि इससे पहले कृषि मंत्री होने का उनका अनुभव नई भूमिका में बहुत मददगार होगा। श्री तोमर ने कहा कि दोनों देशों के बीच काफी अच्छे राजनयिक व व्यापारिक संबंध है। उज्बेकिस्तान के साथ भारत के राजनयिक संबंध को 30 साल पूरे हो रहे हैं, वहीं भारत के लिए यह आजादी के अमृत महोत्सव का अवसर है। श्री तोमर ने प्रसन्नता जताई कि दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने बताया कि हमने उज्बेकिस्तान से अंगूर, प्लम व स्वीट चेरी के लिए बाजार पहुंच प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए अधिसूचना शीघ्र प्रकाशित की जाएगी, वहीं भारत को आम, केला व सोयाबीन ऑयलकेक के निर्यात के लिए उज़्बेक पक्ष से अनुमोदन प्राप्त हुआ है, जिसके लिए उन्होंने धन्यवाद दिया। श्री तोमर ने उज़्बेक पक्ष से अनार, आलू, पपीता और गेहूं की अनुमति में तेजी लाने का अनुरोध किया है।

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र का तेजी से विकास किया जा रहा है और किसानों के हित में विभिन्न पहलुओं पर काफी शिद्दत से काम हो रहा है। किसानों, वैज्ञानिकों व सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण देश में कृषि उत्पादन काफी बढ़ा है, साथ ही भारत में कृषि शिक्षा व अनुसंधान भी बहुत परिपक्व स्थिति में है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि भारत में कृषि के विकास का लाभ सारी दुनिया को मिलें।

इससे पहले, खोड़जाव ने भारत को आजादी के अमृत महोत्सव की बधाई देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत का अनुभव काफी अच्छा है, जिसे हम सीखते हुए किसानों को समर्थन के बारे में जानना चाहते है। “हम, भारत की तरह उज्बेकिस्तान में कृषि की दशा-दिशा बदलना चाहते हैं, जिसके लिए भारत से सीखना चाहते हैं,” उन्होंने कहा। इस संबंध में उन्होंने भारतीय कृषि शोध संस्थानों से शोध व विकास का लाभ उज्बेकिस्तान को दिलाने का अनुरोध किया। श्री खोड़जाव ने भारतीय कृषि में डिजिटलीकरण के बढ़ते ट्रेंड की सराहना करते हुए भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर इसी तरह उज्बेकिस्तान में भी डिजिटलीकरण करने की बात कही। उन्होंने भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली आदि की भी प्रशंसा करते हुए इन्हें उज्बेकिस्तान के लिए सीखने की बात कही।

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