
मुंबई : इस साल मॉनसून ने पूरे देश को चौंका दिया है। आमतौर पर जहां लोग जून के पहले हफ्ते तक बारिश का इंतजार करते हैं, वहीं 2025 का मॉनसून 10 दिन पहले ही केरल से देश में प्रवेश कर गया। और सिर्फ केरल ही नहीं — मिज़ोरम, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में भी 23 मई को ही तेज बारिश देखी गई।
मौसम विभाग की माने तो 2009 के बाद यह पहली बार है जब मॉनसून इतनी तेजी से आगे बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक 1990 में 19 मई को सबसे जल्दी मॉनसून केरल पहुंचा था। इस बार 23 मई की एंट्री ने 107 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए मुंबई को भी सराबोर कर दिया।
केरल से मुंबई तक बारिश का तूफान
केरल में मॉनसून की शुरुआती बारिश इतनी तेज रही कि एक दिन में ही सामान्य से कहीं ज्यादा पानी बरस गया। इसके तुरंत बाद मुंबई में जमकर बारिश हुई और शहर की ढांचागत खामियां एक बार फिर सामने आ गईं।
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दादर का हिंदमाता इलाका जलमग्न
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बांद्रा, भायखला, मलाड सहित कई इलाकों में सड़कों पर पानी भर गया
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मुंबई मेट्रो के वर्ली स्टेशन पर यात्री फंसे
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KEM अस्पताल का ग्राउंड फ्लोर पानी में डूबा
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लोकल ट्रेन सेवाएं बाधित, कई ट्रैक बंद
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रेलवे स्टेशन, प्लेटफॉर्म, सड़कों पर जलभराव
बारिश इतनी भारी थी कि लोगों को अपने घरों में ही रहने की सलाह दी गई। मौसम विभाग ने मुंबई और आसपास के इलाकों में येलो अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के मॉनसून ट्रैकर के अनुसार, इस बार मॉनसून पूरे दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में रिकॉर्ड समय से पहले पहुंचा है। 23 मई को ही केरल और मिज़ोरम दोनों में बारिश शुरू हो गई — जो कि लगातार दूसरे साल हुआ है।
उपग्रह से ली गई तस्वीरों में भारत के एक बड़े हिस्से को मॉनसूनी बादलों से ढंका हुआ देखा गया है। इस तेज़ी ने विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया है।
भारत में मॉनसून केवल एक मौसम नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक जीवन की धुरी है।
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सालाना वर्षा का 70% हिस्सा मॉनसून से आता है
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भारत की 60% कृषि भूमि इसी पर निर्भर है
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खाद्यान्न उत्पादन का 55% हिस्सा खरीफ की फसलें देती हैं, जो मॉनसून पर आधारित होती हैं
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देश की 42% आबादी खेती पर निर्भर, मॉनसून अच्छा हो तो ग्रामीण जीवन और आय में सुधार आता है
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भंडारण, महंगाई नियंत्रण और जल आपूर्ति – सब कुछ इसी बारिश पर टिका है
इस बार प्रशांत महासागर में तापमान सामान्य रहा, जिससे अल-नीनो का असर नहीं पड़ा और मॉनसून को बल मिला।
निचली सतह की हवा की तेज़ रफ्तार — जिसे सोमाली जेट कहा जाता है — ने अरब सागर से भारी नमी खींचकर भारत के पश्चिमी तट तक पहुंचा दी।
यह वैश्विक मौसमी हलचल का एक पैटर्न है। इसका अनुकूल फेज बना तो क्लाउड फॉर्मेशन और बारिश में तेजी आई।
ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण:
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तापमान बढ़ा, वायुमंडल में अधिक नमी आई
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हिमालय में बर्फ कम गिरी और जल्दी पिघली, जिससे धरती और गर्म हुई
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यह गर्मी लो-प्रेशर ज़ोन बनाकर मॉनसून को पहले खींच लाई
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक डिग्री तापमान बढ़ने से वातावरण में 6-8% नमी बढ़ती है, जिससे बादल जल्दी बनते हैं।
मॉनसून के जल्द आने से किसानों को फसलों की बुवाई पहले शुरू करने का मौका मिलेगा। इससे:
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कटाई जल्दी होगी
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फसल की दोहरी योजना बन सकती है
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लेकिन इसके लिए बीज और खाद की आपूर्ति समय पर होनी जरूरी है
मौसम विभाग के अनुसार, 2 जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून पहुंच चुका होगा।
इसके बाद इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ सकती है, लेकिन फिलहाल इसका प्रभाव सकारात्मक और संतुलित दिखाई दे रहा है।
इस साल का मॉनसून असामान्य रूप से समय से पहले आया है — और यह देश के लिए एक अच्छी खबर है। कृषि, जल आपूर्ति, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महंगाई नियंत्रण जैसे मोर्चों पर इसका गहरा असर पड़ेगा। लेकिन इसके साथ ही यह चेतावनी भी देता है कि जलवायु परिवर्तन के संकेतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।