
देहरादून, 5 नवंबर: उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और साहित्यिक चेतना को नई दिशा देने वाला “स्पर्श हिमालय महोत्सव–2025” बुधवार को अपने शानदार समापन पर पहुंचा। देहरादून के लेखक गांव, थानों में आयोजित इस तीन दिवसीय आयोजन के समापन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लेखक गांव स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्षगांठ पर सभी आंदोलनकारियों को नमन किया और कहा कि “लेखक गांव की परिकल्पना उन विचारों का प्रतीक है जो समाज को दिशा देते हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ते हुए भविष्य का निर्माण करना सिखाते हैं।” उन्होंने कहा कि यह महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि “नई सृजन-यात्रा का आरंभ” है।
लेखक गांव: संस्कृति, साहित्य और परंपरा का संगम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व प्रोत्साहन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि “लेखक गांव” जैसी पहलें प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाती हैं और स्थानीय प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करती हैं।
उन्होंने कहा,
“लेखक गांव न केवल सृजन का केंद्र बनेगा, बल्कि उत्तराखंड को विश्व के साहित्यिक मानचित्र पर एक नई पहचान देगा। आने वाले समय में यह स्थल हमारी प्राचीन परंपराओं को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ने का माध्यम बनेगा।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने साहित्यकारों के सम्मान और सहयोग के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’, ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ जैसे पुरस्कार शामिल हैं, जिनके तहत उत्कृष्ट साहित्यकारों को 5 लाख रुपये तक की राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है।
इसके अलावा, विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन हेतु वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से प्रदेश के साहित्यकारों को निरंतर अनुदान और प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार का प्रयास है कि साहित्यिक गतिविधियाँ केवल पुस्तकों तक सीमित न रहें, बल्कि आम जनता के जीवन से जुड़ें और समाज में सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम बनें।
युवाओं को साहित्य से जोड़ने की पहल
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि युवा पीढ़ी को साहित्य, कला और संस्कृति से जोड़ना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युवाओं में सृजनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं, वर्कशॉप और साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।
“हम चाहते हैं कि हमारे युवा केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि सृजक बनें। वे अपने विचारों, लेखन और कला के माध्यम से समाज में चेतना और प्रेरणा का संचार करें,” मुख्यमंत्री ने कहा।
उन्होंने विश्वास जताया कि साहित्य, संस्कृति और समाज के बीच संवाद की यह नई यात्रा उत्तराखंड को देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में अग्रणी बनाएगी।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपस्थिति से रजत जयंती उत्सव को मिली ऐतिहासिक ऊँचाई
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में बताया कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया, जो प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।
उन्होंने कहा,
“आगामी 9 नवंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी स्वयं उत्तराखंड आ रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है कि देश का शीर्ष नेतृत्व उत्तराखंड की प्रगति यात्रा का हिस्सा बन रहा है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप “विकल्प रहित संकल्प” के साथ उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों, कलाकारों, विद्वानों और संस्कृति साधकों के सहयोग से यह सपना अवश्य साकार होगा।
लेखक गांव: स्थानीय से वैश्विक तक का सफर
“लेखक गांव” की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश की लोक परंपराओं, साहित्यिक विरासत और लोककलाओं को पुनर्जीवित करना है। यहां स्थानीय कलाकारों और लेखकों को एक ऐसा मंच प्रदान किया जा रहा है, जहां वे अपने अनुभवों और रचनात्मक कार्यों को साझा कर सकें।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने कहा कि लेखक गांव आने वाले समय में “उत्तराखंड का शांति और सृजन का तीर्थ” बन सकता है, जहां परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लेखक गांव में आयोजित यह महोत्सव राज्य के सांस्कृतिक आत्मविश्वास को पुनर्जीवित करता है और नई पीढ़ी को यह सिखाता है कि विकास केवल इमारतों से नहीं, बल्कि विचारों और संस्कारों से होता है।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति में हुआ समापन
स्पर्श हिमालय महोत्सव के समापन सत्र में कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, पूर्व रक्षा सचिव डॉ. योगेंद्र नारायण, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल कुमार भट्ट, पद्मश्री डॉ. हरमोहन सिंह बेदी, और विदुषी निशंक शामिल रहे।
इन सभी ने मुख्यमंत्री धामी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसे युवा राज्य में साहित्य और संस्कृति पर केंद्रित ऐसे आयोजन राज्य की आत्मा को जीवित रखते हैं।
सांस्कृतिक नवजागरण की ओर एक कदम
स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025 का समापन केवल एक कार्यक्रम का अंत नहीं, बल्कि सांस्कृतिक नवजागरण की शुरुआत है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शब्दों में —
“यह महोत्सव उस रचनात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, जो हमारे साहित्यकारों, कलाकारों और युवाओं में बसती है। लेखक गांव इस ऊर्जा को दिशा देने का माध्यम बनेगा और आने वाले वर्षों में उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।”
कार्यक्रम का समापन पारंपरिक लोक संगीत, नृत्य और कविता पाठ के साथ हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।



