
नई दिल्ली। हाल के दिनों में यह चर्चा तेज़ हो गई थी कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से ₹2,000 से अधिक के लेन-देन पर सरकार जीएसटी (GST) लगाने जा रही है। इस खबर से लोगों में भ्रम फैल गया था, लेकिन अब वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसी सभी खबरें भ्रामक और पूरी तरह से फर्जी हैं।
PIB ने दी पुष्टि
प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की ओर से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि ₹2,000 से अधिक के किसी भी UPI ट्रांजैक्शन पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। साथ ही यह भी याद दिलाया गया कि जनवरी 2020 से पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को भी शून्य कर दिया गया है।
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार की बड़ी पहल
इंसेंटिव स्कीम को बढ़ाया गया 2026 तक
डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने 2021 में शुरू की गई इंसेंटिव योजना को अब 31 मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दिया है। इस स्कीम के अंतर्गत सरकार ₹1,500 करोड़ खर्च करेगी।
रुपे और BHIM-UPI पर मिल रहा लाभ
इस योजना के तहत यदि ग्राहक रुपे डेबिट कार्ड या BHIM-UPI के माध्यम से ₹2,000 तक की खरीदारी करता है, तो दुकानदार को 0.15% तक इंसेंटिव मिलेगा। यह राशि सीधे उनके बैंक अकाउंट में जमा होगी। इससे देशी पेमेंट सिस्टम को मज़बूती मिलेगी और Visa तथा Mastercard जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भरता कम होगी।
कैसे काम करता है यह इंसेंटिव मॉडल?
मान लीजिए कोई ग्राहक ₹2,000 का भुगतान BHIM-UPI से करता है, तो दुकानदार को करीब ₹3 तक की राशि इंसेंटिव के रूप में मिलेगी। इसके अलावा बैंक को भी लेनदेन प्रोसेसिंग के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
सरकार बैंक को कुल दावा राशि का 80% तत्काल देती है, और शेष 20% तब मिलती है जब बैंक की तकनीकी सेवाएं उच्च मानकों पर खरी उतरें।
UPI लेनदेन में भारत बना ग्लोबल लीडर
ACI वर्ल्डवाइड की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर के रियल-टाइम ट्रांजैक्शन में भारत का हिस्सा 49% रहा है।
2019-20 में जहां कुल यूपीआई लेनदेन ₹21.3 लाख करोड़ था, वहीं मार्च 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर ₹260.56 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
खास बात ये है कि P2M (व्यापारिक) लेनदेन ₹59.3 लाख करोड़ के स्तर तक पहुंच चुके हैं।