
देहरादून | 27 जुलाई 2025: उत्तराखंड में नशामुक्ति अभियान को नई दिशा देते हुए राज्य का पहला सरकारी नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र जल्द ही देहरादून के रायवाला में स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल और मार्गदर्शन में जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस योजना को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
जिलाधिकारी ने केंद्र की स्थापना और संचालन के लिए 57.04 लाख रुपये के बजट को स्वीकृति दे दी है। यह नशा मुक्ति केंद्र समाज के उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण बनेगा, जो नशे की गिरफ्त से बाहर निकलना चाहते हैं।
30 बिस्तरों की क्षमता, अनुभवी एनजीओ करेगा संचालन
प्रशासन की योजना के अनुसार, रायवाला स्थित राजकीय वृद्धाश्रम के प्रथम तल पर यह केंद्र संचालित किया जाएगा। यहां 13 कमरे, एक हॉल, दो कार्यालय कक्ष और आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। यह केंद्र 30 बिस्तरों की क्षमता के साथ कार्य करेगा और इसके संचालन के लिए अनुभवी स्वैच्छिक संस्था (एनजीओ) का चयन समिति के माध्यम से किया जाएगा।
विस्तृत बजट योजना तैयार, स्वीकृति भी मिल चुकी
जिला प्रशासन द्वारा स्वीकृत 57.04 लाख रुपये की राशि में शामिल हैं:
- 22.56 लाख – प्रस्तावित 22 पदों के 6 माह के मानदेय के लिए
- 9.48 लाख – भवन अनुरक्षण, दवाइयां, बिजली-पानी, भोजन, स्टेशनरी आदि
- 25 लाख – आवश्यक सामग्री जैसे गद्दे, फर्नीचर, बर्तन, कंप्यूटर, बायोमेट्रिक आदि की खरीद के लिए
जिलाधिकारी ने यह राशि खनन न्यास निधि से मंजूर की है।
समाज कल्याण विभाग के साथ बैठक, एक्शन प्लान तैयार
जिलाधिकारी सविन बंसल ने समाज कल्याण विभाग एवं संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और नशा मुक्ति केंद्र के शीघ्र संचालन के निर्देश दिए। केंद्र में रजिस्ट्रेशन, ओपीडी, आइसोलेशन रूम, स्टाफ रूम, स्टोर और वेटिंग एरिया जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
“नशा एक सामाजिक आपदा, जिसे जड़ से खत्म करना ज़रूरी” – जिलाधिकारी
डीएम बंसल ने कहा, “नशा एक सामाजिक चुनौती बन चुका है। इससे बाहर निकलने के लिए व्यवस्थित पुनर्वास बेहद जरूरी है। सरकार की ‘नशामुक्त उत्तराखंड’ पहल को ज़मीनी स्तर पर उतारने का यह एक निर्णायक कदम है।”
बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद
इस बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमके शर्मा, जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल, निदेशक सोशल वेलफेयर जगमोहन सिंह कफोला और आरडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता विनीत कुरील भी उपस्थित थे।
उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार एक सरकारी स्तर पर नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना प्रशासनिक इच्छाशक्ति और मुख्यमंत्री के निर्देशों का प्रमाण है। यह पहल राज्य में नशामुक्ति की दिशा में एक मॉडल प्रोजेक्ट बनकर उभर सकती है।



