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उत्तराखंड को भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत केंद्र से मिलेगी और धनराशि — राज्य बनेगा डिजिटल भू-प्रबंधन का मॉडल

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नई दिल्ली/देहरादून, 28 जुलाई — उत्तराखंड को डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) के तहत केंद्र सरकार से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर दी है।

केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार के भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड, ग्रामीण भारत में आधुनिक और पारदर्शी भू-प्रबंधन प्रणाली के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।


लिडार सर्वे तकनीक से होगी सम्पूर्ण राज्य की भूमि का पुनः सर्वेक्षण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व में केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर उत्तराखंड को 478.50 करोड़ रुपये की विशेष सहायता राशि प्रदान करने का आग्रह किया था। इसमें लिडार (LiDAR) जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों से राज्य की सम्पूर्ण भूमि का पुनःसर्वेक्षण किए जाने और तहसील स्तर पर आधुनिक अभिलेख कक्षों के निर्माण हेतु 350 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी गई थी।

इस पर केंद्र ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए अवगत कराया कि राज्य को प्रारंभिक रूप से पांच गांवों में प्रयोगिक परीक्षण हेतु सहायता दी जाएगी। परीक्षण सफल होने पर राज्य के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण सर्वेक्षण के लिए अतिरिक्त निधि जारी की जाएगी।


एग्री-स्टैक योजना से भी मिलेगा सहयोग

केंद्रीय मंत्री चौहान ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि एग्री स्टैक कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तराखंड को कृषि और किसान कल्याण विभाग के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया भी जारी है, और वह स्वयं इस विषय की निगरानी कर रहे हैं।


उत्तराखंड को मॉडल राज्य बनाने की दिशा में बड़ी पहल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार के इस सहयोग पर आभार जताते हुए कहा:

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में उत्तराखंड पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है। भू-कानून को सशक्त बनाते हुए राज्य सरकार भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का कार्य समयबद्ध रूप से पूरा करने पर विशेष ध्यान दे रही है।”

धामी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि यह वित्तीय सहयोग राज्य के भू-प्रबंधन तंत्र को पारदर्शी और जनहितकारी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


विश्लेषण: डिजिटल इंडिया की रीढ़ बन सकता है उत्तराखंड का भू-सुधार मॉडल

उत्तराखंड की यह पहल भूमि विवादों के समाधान, कृषि योजनाओं की दक्षता, और निवेश की पारदर्शिता में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। DILRMP और एग्री-स्टैक जैसी योजनाएं, राज्य को “डिजिटल भू-गवर्नेंस मॉडल” के रूप में प्रस्तुत कर सकती हैं, जो अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेंगी।

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