
देहरादून, 12 अक्टूबर 2025: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से रविवार को उत्तराखंड बेरोजगार संघ एवं तकनीकी डिप्लोमा धारक छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधियों ने हाल ही में परीक्षा में अनियमितताओं की शिकायतों पर राज्य सरकार द्वारा परीक्षा रद्द करने के निर्णय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह कदम युवाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार की पारदर्शी नीति और त्वरित कार्रवाई का प्रतीक है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड के युवा राज्य सरकार के साथ विकास और सुशासन की दिशा में हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।
बेरोजगार संघ ने कहा—“सरकार ने युवाओं का विश्वास जीता”
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जिस गंभीरता और संवेदनशीलता से परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं पर संज्ञान लिया, वह युवाओं के मन में न्याय और पारदर्शिता की उम्मीद को मजबूत करता है।
संघ ने कहा कि सरकार द्वारा परीक्षा निरस्त कर भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में जो कदम उठाए गए हैं, वे ऐतिहासिक और प्रशंसनीय हैं। संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा—
“मुख्यमंत्री धामी ने जिस तत्परता के साथ युवाओं की आवाज़ सुनी, वह न केवल प्रेरणादायक है बल्कि राज्य के प्रशासनिक तंत्र में भरोसा बहाल करने वाला निर्णय भी है।”
मुख्यमंत्री धामी बोले—“भ्रष्टाचार और नकल पर जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी”
मुख्यमंत्री ने बेरोजगार संघ के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार योग्यता और पारदर्शिता आधारित भर्ती प्रक्रिया के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार का स्पष्ट संदेश है कि किसी भी परीक्षा में भ्रष्टाचार, नकल या अनुचित साधनों के लिए शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) की नीति जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा—
“राज्य के युवाओं की मेहनत और प्रतिभा के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमने नकल विरोधी कानून लागू कर भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने का काम किया है। अब कोई भी व्यक्ति या संगठन परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करेगा तो उसके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”
नकल विरोधी कानून बना युवाओं की ढाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में लागू नकल विरोधी कानून ने राज्य की परीक्षा प्रणाली में नई पारदर्शिता और विश्वास का वातावरण पैदा किया है। इस कानून ने न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया है बल्कि उन युवाओं के लिए समान अवसर की गारंटी भी दी है, जो अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर सफलता हासिल करना चाहते हैं।
धामी ने कहा कि राज्य सरकार लगातार यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि हर पात्र युवक-युवती को निष्पक्ष अवसर मिले। उन्होंने बताया कि भर्ती परीक्षाओं के आयोजन, परिणाम घोषणा और चयन प्रक्रिया में समयबद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शासन स्तर पर कई सुधार लागू किए जा रहे हैं।
“युवाओं की ईमानदारी ही राज्य की सबसे बड़ी पूंजी”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के युवा परिश्रमी, ईमानदार और प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा—
“उत्तराखंड के युवाओं की ईमानदारी और लगन ही राज्य की सबसे बड़ी पूंजी है। सरकार का दायित्व है कि उनके भविष्य को सुरक्षित और सम्मानजनक दिशा दी जाए।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार युवाओं के हित में हर संभव कदम उठाने के लिए संकल्पबद्ध है, चाहे वह नकल माफिया पर कार्रवाई हो, भर्ती में पारदर्शिता सुनिश्चित करना हो या युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाना।
संघ ने दिए सुझाव, सरकार ने जताई सहमति
बेरोजगार संघ के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि भविष्य की परीक्षाओं में नकल-रोधी प्रावधानों को और मजबूत किया जाए और भर्ती प्रक्रिया को समयबद्ध रूप से संचालित किया जाए, ताकि उम्मीदवारों में अनिश्चितता की स्थिति न बने।
मुख्यमंत्री धामी ने इन सुझावों को सकारात्मक रूप से लेते हुए कहा—
“पारदर्शी भर्ती ही सुशासन की पहचान है। राज्य सरकार इसी दिशा में निरंतर काम कर रही है, ताकि हर पात्र उम्मीदवार को उसका अधिकार मिले।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार और समाज के बीच संवाद ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है, और युवाओं के सुझावों को नीति-निर्माण में प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी की यह बैठक न केवल बेरोजगार युवाओं के लिए सकारात्मक संदेश लेकर आई है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि राज्य सरकार पारदर्शिता, ईमानदारी और सुशासन के पथ पर मजबूती से आगे बढ़ रही है।
भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और नकल पर धामी सरकार की सख्त नीति ने युवाओं के मन में नया भरोसा जगाया है कि अब राज्य में अवसर योग्यता के आधार पर ही तय होंगे।