
देहरादून : उत्तराखंड को केंद्र सरकार से मिलने वाला फंड 2011 की जनगणना के आधार पर निर्धारित किया जा रहा है, जबकि राज्य पर हर साल लगभग 8 करोड़ लोगों की फ्लोटिंग पॉपुलेशन का भार पड़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र से आग्रह किया है कि राज्य को मिलने वाले फंड का निर्धारण वास्तविक जनसंख्या दबाव के अनुसार किया जाए, ना कि केवल 1.19 करोड़ की स्थायी जनसंख्या के आधार पर।
मुख्यमंत्री धामी ने यह मुद्दा केंद्र सरकार के 11 वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पर्यटन, तीर्थाटन और रोजगार के लिए आने वाले करोड़ों लोगों की जिम्मेदारी उठाता है, लेकिन केंद्र सरकार से फंड केवल स्थायी जनसंख्या के हिसाब से मिलता है, जो कि राज्य के साथ अन्याय है।
धामी ने 16वें वित्त आयोग के सामने रखी बात
सीएम ने बताया कि उन्होंने हाल ही में उत्तराखंड आए 16वें वित्त आयोग के अधिकारियों के सामने यह मुद्दा प्रमुखता से रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि –
“हमारे राज्य में हर साल लगभग 8 करोड़ लोग आते हैं, लेकिन हमें केवल सवा करोड़ की आबादी मानकर फंड दिया जाता है। हमें सड़कों, पानी, बिजली, सफाई और चिकित्सा जैसी सुविधाएं करोड़ों लोगों के लिए उपलब्ध करानी होती हैं। यह असलियत केंद्र को समझनी चाहिए।”
फ्लोटिंग पॉपुलेशन उन लोगों को कहा जाता है जो किसी राज्य में स्थायी रूप से निवास नहीं करते लेकिन पर्यटन, व्यापार, तीर्थ यात्रा या अन्य कारणों से कुछ समय के लिए उस राज्य में रहते हैं। उत्तराखंड जैसे धार्मिक और पर्यटन राज्य में यह संख्या बेहद अधिक है।
सीएम धामी ने कहा कि नीति आयोग और भारत सरकार से भी अनुरोध किया गया है कि फंडिंग फॉर्मूले में बदलाव कर फ्लोटिंग पॉपुलेशन को शामिल किया जाए। उन्होंने इसे राज्य के लिए वित्तीय न्याय की आवश्यकता बताया।
उत्तराखंड सरकार का तर्क है कि जब राज्य हर साल करोड़ों लोगों को सेवा देता है, तो फंड भी उसी अनुपात में मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री धामी की यह मांग अब एक राष्ट्रीय बहस का विषय बनती जा रही है, जो अन्य पर्वतीय और पर्यटन राज्यों को भी राहत दिला सकती है।