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उत्तराखंड में अस्पतालों की सुरक्षा पर सरकार सख्त, राज्यभर में शुरू होगा फायर सेफ्टी ऑडिट अभियान

मुख्यमंत्री धामी और स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर बड़ा एक्शन, हर अस्पताल में इमरजेंसी ड्रिल और ऑडिट अनिवार्य

देहरादून, 9 अक्टूबर 2025 | उत्तराखंड सरकार ने राज्यभर के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। बढ़ते फायर हादसों और सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए सरकार ने राज्यव्यापी फायर सेफ्टी ऑडिट अभियान चलाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर सचिवालय में सोमवार को एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर. राजेश कुमार ने की।

बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में फायर सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ किया जाएगा। इसके साथ ही, हर अस्पताल में मासिक फायर ड्रिल, सुरक्षा ऑडिट और इमरजेंसी रेस्पॉन्स अभ्यास को अनिवार्य किया गया है।


सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार बोले — “किसी भी कीमत पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं”

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार अस्पतालों की सुरक्षा के प्रति बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा —

“अस्पतालों में किसी भी प्रकार की लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी संस्थानों में फायर सिस्टम को दुरुस्त किया जाएगा और सुरक्षा ऑडिट नियमित रूप से होगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस अभियान के तहत फायर अलार्म, स्प्रिंकलर सिस्टम, आपातकालीन निकास मार्ग, और विद्युत उपकरणों की सघन जांच की जाएगी। अस्पतालों के स्टाफ को भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।


दून मेडिकल कॉलेज में सचिव ने दिए सख्त निर्देश

सचिव ने सबसे पहले राजकीय दून मेडिकल कॉलेज का उदाहरण देते हुए कार्यदायी संस्था को निर्देशित किया कि वहां अग्नि सुरक्षा से संबंधित सभी प्रमाणपत्र (NOC) शीघ्र उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने अग्निशमन विभाग से भी इस प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का अनुरोध किया।

बैठक में सचिव ने आदेश दिया कि अस्पतालों में स्प्रिंकलर, मोटर पंप और फायर उपकरणों की कार्यशीलता का डेमो कराया जाए ताकि आपात स्थिति में तत्परता बनी रहे।
इसके अलावा, उन्होंने निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अजय आर्य को निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में हर माह फायर मॉक ड्रिल कराई जाए।

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य गीता जैन को आदेश दिया गया कि कार्यदायी संस्था के साथ नियमित बैठकें कर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
कार्यदायी संस्था ने जानकारी दी कि ओटी बिल्डिंग की फायर NOC 30 अक्टूबर 2025 तक, और सीएसएसडी विभाग की NOC 30 नवंबर 2025 तक जारी कर दी जाएगी।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का निर्देश — “सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में सभी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

“हमारी प्राथमिकता मरीजों और अस्पताल स्टाफ की सुरक्षा है। सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना होगा। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उत्तराखंड के सभी अस्पताल सुरक्षित और तैयार रहें,”
मुख्यमंत्री ने कहा।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी हर संस्था को फायर सुरक्षा और आपातकालीन तैयारी के मानकों पर खरा उतरना होगा। इसके लिए जिला स्तर पर भी विशेष टीमों का गठन किया जा रहा है, जो नियमित निरीक्षण करेंगी।


स्वास्थ्य सचिव का सख्त संदेश — “हर अस्पताल में ड्रिल और ऑडिट अनिवार्य”

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार यह अभियान राज्यव्यापी रूप से चलाया जाएगा।

“हमारी टीम लगातार निरीक्षण करेगी और सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगी। सभी जिला अधिकारियों और अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि हर अस्पताल में फायर सिस्टम की मजबूती, इमरजेंसी ड्रिल और सुरक्षा ऑडिट सुनिश्चित करें। किसी भी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी,”
उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार का उद्देश्य यह है कि उत्तराखंड के सभी अस्पताल न केवल इलाज में सक्षम हों, बल्कि आपात स्थिति में भी पूरी तरह तैयार रहें।


राज्यव्यापी फायर सेफ्टी अभियान की मुख्य रूपरेखा

बैठक में तय किया गया कि यह अभियान अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर दिसंबर तक चरणबद्ध रूप से चलेगा।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं —

  • सभी अस्पतालों में फायर अलार्म, स्प्रिंकलर और हाइड्रेंट सिस्टम की जांच
  • हर अस्पताल में मासिक फायर ड्रिल और आपात अभ्यास अनिवार्य
  • स्टाफ को आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षण
  • सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट का रख-रखाव और समीक्षा
  • फायर सेफ्टी मानकों के उल्लंघन पर प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई
  • सभी जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे जो निरीक्षण रिपोर्ट सीधे शासन को भेजेंगे

अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान केवल औपचारिक जांच तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सुरक्षा संस्कृति को संस्थागत रूप देने की दिशा में ठोस पहल होगी।


अस्पतालों को मिला सख्त संदेश

सचिवालय बैठक में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार की ढिलाई अस्वीकार्य है। सभी अस्पताल प्रबंधन को निर्देशित किया गया कि वे अपनी फायर सेफ्टी रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करें और संबंधित संस्थाओं से आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त करें।

स्वास्थ्य विभाग ने यह भी चेतावनी दी कि यदि किसी भी संस्थान में फायर सेफ्टी मानकों का उल्लंघन पाया गया तो उसके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ जुर्माना और लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई भी की जा सकती है।


राज्य सरकार की प्राथमिकता — मरीजों की सुरक्षा पहले

राज्य सरकार की इस पहल को मरीजों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। हाल के वर्षों में देशभर के विभिन्न हिस्सों में अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं ने यह संकेत दिया है कि फायर सेफ्टी सिस्टम की मजबूती अत्यंत आवश्यक है।

उत्तराखंड सरकार की यह पहल न केवल राज्य के अस्पतालों की सुरक्षा को नए स्तर पर ले जाएगी, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण भी प्रस्तुत करेगी कि किस तरह नीति और प्रशासनिक इच्छाशक्ति से सार्वजनिक संस्थानों की सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।

राज्य के अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर शुरू किया जा रहा यह राज्यव्यापी अभियान उत्तराखंड की स्वास्थ्य प्रणाली को अधिक सक्षम और सुरक्षित बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री धामी और सचिव डॉ. राजेश कुमार के सख्त निर्देशों से यह स्पष्ट है कि सरकार अब किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी।

मरीजों, डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करना अब केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी है।

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