
नई दिल्ली | भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) देशभर में मतदाता सूचियों के शुद्धीकरण और अद्यतन के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करने जा रहा है। इस अभियान का नाम है — “Special Intensive Revision (SIR)”, जो चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक, पहले चरण में करीब 10 राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू होगी, जिनमें वे राज्य शामिल हैं जहाँ 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव आयोग इस सिलसिले में सोमवार, 27 अक्टूबर को शाम 4:15 बजे नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा, जहाँ अभियान की तारीखों और दिशा-निर्देशों की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
चरणबद्ध तरीके से होगी वोटर लिस्ट की समीक्षा
सूत्रों के अनुसार, इस बार मतदाता सूची के अद्यतन की प्रक्रिया “एक साथ पूरे देश में” नहीं बल्कि चरणबद्ध ढंग से होगी। पहले चरण में जिन राज्यों को शामिल किया गया है, उनमें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी प्रमुख हैं। इसके अलावा, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों को भी प्राथमिकता सूची में रखा गया है।
इन सभी राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए आयोग चाहता है कि वहाँ की मतदाता सूची पूरी तरह अद्यतन और त्रुटि-मुक्त हो।
क्या है ‘Special Intensive Revision (SIR)’ प्रक्रिया
Special Intensive Revision (SIR), चुनाव आयोग का एक वार्षिक या विशेष अभियान होता है, जिसके तहत देशभर में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा की जाती है।
इसमें शामिल होता है:
- नए मतदाताओं का पंजीकरण (18 वर्ष पूर्ण करने वाले नागरिक)
- मृतकों, दोहरे नामों और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना
- पते, फोटो और पहचान की शुद्धि
- लिंग और आयु के आधार पर संतुलन की जांच
- दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं की विशेष सुविधा सुनिश्चित करना
आयोग हर बार एक निश्चित तारीख को “जनवरी 1” या “अक्टूबर 1” को योग्यता तिथि (qualifying date) मानकर सूची संशोधन करता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
“हमारा लक्ष्य है कि हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में हो और एक भी अपात्र नाम न रहे। यह लोकतंत्र की जड़ को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।”
पहले चरण में 10 राज्य, बाद में पूरे देश में विस्तार
अधिकारियों ने बताया कि पहले चरण में उन राज्यों को प्राथमिकता दी गई है जहाँ अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। दूसरे और तीसरे चरण में अन्य राज्यों — जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा और झारखंड — को शामिल किया जाएगा।
जहाँ पहले से ही स्थानीय निकाय चुनाव या उपचुनाव चल रहे हैं, वहाँ SIR फिलहाल स्थगित रहेगा, ताकि प्रशासनिक और तकनीकी दबाव न बढ़े।
सूत्रों के मुताबिक, यह भी संभावना है कि आयोग “डिजिटल वेरिफिकेशन” को इस बार बड़ी भूमिका में लाए, ताकि मतदाता स्वयं भी मोबाइल एप या वेबसाइट के ज़रिए अपनी प्रविष्टि सत्यापित कर सकें।
डिजिटल फॉर्म और QR आधारित मतदाता पहचान पर जोर
चुनाव आयोग हाल के वर्षों में मतदाता सूची को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
इस बार SIR में कुछ नई तकनीकी सुविधाएँ भी जोड़ी जा सकती हैं, जैसे —
- QR कोड आधारित वोटर आईडी कार्ड (EPIC)
- ऑनलाइन एड्रेस अपडेट सिस्टम
- डिजिटल सिग्नेचर द्वारा फॉर्म सत्यापन
- आधार-पुष्टि आधारित वेरिफिकेशन (केवल सहमति के आधार पर)
सूत्रों ने बताया कि आयोग ने राज्यों को निर्देश दिया है कि सभी बूथ-लेवल अधिकारी (BLOs) को इस प्रक्रिया में प्रशिक्षित किया जाए और डिजिटल फॉर्म्स की जाँच पारदर्शिता के साथ की जाए।
जनजागरूकता अभियान भी साथ चलेगा
SIR के साथ आयोग एक देशव्यापी जनजागरूकता अभियान भी चलाने जा रहा है। इसमें युवा मतदाताओं, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों को जोड़ा जाएगा। आयोग का फोकस है कि 18-19 वर्ष आयु वर्ग के हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में अवश्य हो।
ECI के एक अधिकारी ने बताया,
“हमने देखा है कि कई युवा अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाना भूल जाते हैं। इस बार हम सोशल मीडिया, कॉलेज ड्राइव्स और BLO कैंपों के जरिए यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई पीछे न रह जाए।”
2026 विधानसभा चुनावों की तैयारी की दिशा में बड़ा कदम
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, यह कदम केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि रणनीतिक भी है। 2026 में देश के कई प्रमुख राज्यों — जैसे तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम और पुडुचेरी — में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में चुनाव आयोग चाहता है कि मतदाता सूची सटीक, त्रुटि-मुक्त और डिजिटल रूप से तैयार हो, ताकि भविष्य में किसी विवाद या देरी की स्थिति न बने।
दिल्ली स्थित एक चुनाव विश्लेषक ने कहा —
“SIR को समय पर पूरा कर लेना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे मतदाता पहचान से जुड़े विवाद कम होंगे और मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
BLOs और राज्य आयोगों की जिम्मेदारी बढ़ी
चुनाव आयोग ने राज्यों को पत्र भेजकर ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLOs) और राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को सक्रिय भूमिका में रहने के निर्देश दिए हैं। प्रत्येक बूथ का मैपिंग, क्षेत्रवार जनसंख्या-अनुपात, और लिंग संतुलन की समीक्षा होगी।
सूत्रों ने बताया कि इस बार आयोग “सामाजिक ऑडिट” जैसी प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है, जिसमें नागरिक समाज या स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी से सूची सत्यापन कराया जाएगा।
लोकतंत्र की बुनियाद — शुद्ध मतदाता सूची
भारत में हर वर्ष करीब 1.2 करोड़ नए नागरिक 18 वर्ष की आयु पूरी करते हैं। ऐसे में मतदाता सूची का अद्यतन न केवल एक तकनीकी कार्य है, बल्कि लोकतंत्र के लिए एक संविधानिक अनिवार्यता भी है। सटीक और पारदर्शी मतदाता सूची ही निष्पक्ष चुनावों की पहली शर्त मानी जाती है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, सोमवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में SIR की शुरुआत के साथ-साथ
- योग्यता तिथि (Qualifying Date),
- ड्राफ्ट रोल पब्लिकेशन की तारीख,
- और फाइनल लिस्ट जारी करने की समयसीमा
का भी ऐलान किया जाएगा।
भारत का लोकतंत्र अब डिजिटल युग में प्रवेश कर चुका है, और Special Intensive Revision उसका सबसे बुनियादी, फिर भी सबसे अहम हिस्सा है। नई तकनीक, पारदर्शिता और नागरिक सहभागिता के ज़रिए यह प्रक्रिया देश के हर कोने में लोकतंत्र की पहुँच को और गहराई देने जा रही है।
सोमवार को जब चुनाव आयोग विज्ञान भवन से इस अभियान की घोषणा करेगा, तो यह केवल “वोटर लिस्ट अपडेट” की शुरुआत नहीं होगी — बल्कि भारत के लोकतांत्रिक भविष्य के पुनर्नवीनीकरण की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।



