एक ओर जहाँ पूरा देश होली के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मना रहा है तो वहीं विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त हुए 228 कार्मिक ऐसे हैं जो होली के पवित्र त्योहार को काले दिवस के रूप में मनाने के लिए विवश हैं। अपनी मांगों एवं न्याय की गुहार को लेकर 81 दिन से धरने पर बैठे कार्मिक रंगों के त्यौहार होली को काले दिवस के रूप में मना रहे हैं।
विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे बर्खास्त कार्मिकों ने मंगलवार को होली पर काले पोस्टर दिखाकर प्रदर्शन किया| कार्मिकों ने कहा कि जब से वह विधानसभा से बर्खास्त हुए हैं तब से सभी त्यौहार उनके जीवन में बेरंग हो चुके हैं, उनके बच्चे व परिजन 81 दिनों से सड़क पर बैठे हैं| आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी है कि किसी पर्व को मनाना उनके लिए मुनासिब ही नहीं है|धरने पर बैठे सभी कार्मिकों काली होली मनाने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि विगत साल के सितंबर माह में 228 कार्मिकों को एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए विधानसभा से बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके बाद से सभी कार्मिक अपनी बहाली को लेकर उच्च न्यायालय की शरण में हैं साथ ही साथ विधानसभा के बाहर धरने पर भी बैठे हैं| इस बीच जहां कई विपक्षी पार्टियों द्वारा कार्मिकों को समर्थन भी दिया गया, वहीं बीजेपी के वरिष्ठ केंद्रीय नेता सुब्रमण्यम स्वामी के द्वारा भी कार्मिकों के पक्ष में उच्चतम न्यायालय में केस लड़ने की बात कही गई|
जबकि धरने पर बैठे कार्मिकों का आरोप है कि विधानसभा सचिवालय एवं सरकार के किसी भी प्रतिनिधि द्वारा उनसे ना तो कोई बात की गई, ना कोई सुध ली गई| कार्मिकों का कहना है कि 7 साल ईमानदारी से विधानसभा सचिवालय में अपनी सेवा दिए जाने के बाद भी विधानसभा एवं सरकार उनके साथ बेरुखी अपना रही है| उन्होंने कहा कि जहां सरकार लोगों के जीवन में रंग भर कर खुशहाली लाने की कामना करती है, वहीं सरकार ने बर्खास्त किए गए कार्मिकों के जीवन को बेरंग कर दिया है|