
देहरादून : उत्तराखंड में बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों को लेकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग सक्रिय भूमिका निभा रहा है। अप्रैल माह में नैनीताल जनपद में 12 वर्षीय बालिका के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में आयोग ने त्वरित संज्ञान लेते हुए पीड़िता के स्वास्थ्य, शिक्षा, मानसिक स्थिति एवं सामाजिक पुनर्वास की समुचित समीक्षा की है।
आयोग की माननीय अध्यक्ष महोदया ने स्वयं बालिका एवं उसकी बहन से उनके पुनर्वासित आवास (हॉस्टल) में मुलाकात कर हालात का जायजा लिया। मुलाकात के दौरान यह पाया गया कि बालिका की मानसिक स्थिति में सुधार है और वह दोबारा शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ गई है। आयोग द्वारा की गई अब तक की पुनर्वास व्यवस्था संतोषजनक पाई गई है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले की निरंतर निगरानी करेगा और मासिक प्रगति रिपोर्ट प्राप्त करता रहेगा ताकि बालिका का पुनर्वास पूरी तरह से प्रभावी और सुरक्षित बना रहे।
देहरादून में “पेंसिल बॉक्स स्कूल” की घटना पर भी आयोग की कड़ी निगरानी
हाल ही में देहरादून के “पेंसिल बॉक्स प्रिपरेटरी स्कूल” में हुई एक अन्य गंभीर और संवेदनशील घटना पर भी आयोग ने तुरंत संज्ञान लिया है। आयोग इस प्रकरण के हर पहलू की गहन समीक्षा कर रहा है, जिसमें दोषियों के आचरण, प्रशासनिक प्रक्रियाओं की कमियाँ और कानूनी कार्यवाही में संभावित चूक शामिल हैं। इसका उद्देश्य साफ है — ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना।
इन दोनों घटनाओं की पृष्ठभूमि में आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र प्रेषित किया है। पत्र में निर्देश दिया गया है कि:
“जनपदों में संचालित सभी प्रकार के छात्रावासों, कोचिंग संस्थानों, आवासीय विद्यालयों, शिशु गृहों, बाल गृहों एवं ऐसे सभी स्थलों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाए जहाँ बच्चे एकत्र होते हैं, निवास करते हैं या शैक्षणिक व खेलकूद गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।”
यह पहल राज्य में बाल संरक्षण से जुड़ी संरचनाओं की वर्तमान स्थिति की समुचित समझ एवं आवश्यक नीतिगत सुधार के उद्देश्य से की गई है।
उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दोहराया कि वह बच्चों के अधिकारों की रक्षा, उनकी सुरक्षा और समग्र विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आयोग भविष्य में भी बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा, शोषण या लापरवाही के विरुद्ध सतर्कता से कार्य करता रहेगा।