हर संकट में राष्ट्र को एकजुट रखने का श्रेय संविधान को: CJI बीआर गवई

प्रयागराज। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने कहा है कि हर संकट की घड़ी में भारत का एकजुट रहना भारतीय संविधान की शक्ति को दर्शाता है। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट्स चैंबर ब्लॉक और मल्टीलेवल पार्किंग के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। यह सीजेआई बनने के बाद उनका पहला आधिकारिक सार्वजनिक कार्यक्रम था।
संविधान की संघीय और एकात्मक संरचना पर विचार
सीजेआई ने अपने संबोधन में डॉ. भीमराव अंबेडकर के उस ऐतिहासिक उद्धरण का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत का संविधान न तो पूर्णतः संघीय है और न ही पूरी तरह एकात्मक, बल्कि यह युद्ध और शांति दोनों स्थितियों में भारत को एकजुट रखने वाला संविधान है। उन्होंने कहा कि इसी लचीलापन और संतुलन के कारण भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लोकतंत्र की जड़ें गहराई तक जा सकी हैं।
केशवानंद भारती केस का उल्लेख
सीजेआई गवई ने 1973 के ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ फैसले का भी उल्लेख किया, जिसे भारतीय संविधान का मील का पत्थर बताया जाता है। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने संविधान की मूल संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine) को जन्म दिया, जिसने मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक सिद्धांतों के बीच संतुलन स्थापित किया।
उन्होंने कहा,
“मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व संविधान के दो पहिए हैं। एक के बिना दूसरा प्रभावी नहीं हो सकता और पूरा रथ रुक जाएगा।”
पड़ोसी देशों पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी
सीजेआई ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि जब भारत के आस-पास कई देश अस्थिरता से जूझ रहे हैं, भारत 75 वर्षों बाद भी स्थिरता और विकास के पथ पर अग्रसर है, और इसका श्रेय संविधान को जाता है।
सामाजिक और आर्थिक न्याय पर जोर
सीजेआई ने डॉ. अंबेडकर के उस भाषण की भी चर्चा की, जिसमें उन्होंने “एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य” की बात की थी, लेकिन साथ ही यह भी चेताया था कि सामाजिक और आर्थिक असमानता के रहते लोकतंत्र अधूरा रहेगा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका ने समय-समय पर इस असमानता को दूर करने के प्रयास किए हैं — चाहे वो भूमि सुधार हों या श्रमिक अधिकार।
अधिवक्ता चैंबर और न्यायिक बुनियादी ढांचे की प्रशंसा
उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की जमकर सराहना की और कहा कि ऐसा बुनियादी ढांचा उन्होंने दुनिया में कहीं नहीं देखा। क्रेच, शौचालय और वकीलों की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए बनाए गए चैंबर ब्लॉक को उन्होंने ‘जन-सुलभ न्याय प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम’ बताया।
जजों की टिप्पणियां
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जस्टिस विक्रम नाथ (सुप्रीम कोर्ट) ने इलाहाबाद बार को “बेहतरीन” बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट समझ नहीं पाता कि यहां कैसे काम होता है — “यहां जैसा चलता था, वैसा ही चलता रहेगा।”
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जस्टिस सूर्यकांत, जो अगला सीजेआई बनने की कतार में हैं, ने कहा कि वकीलों के पास मुवक्किलों से गोपनीय बातचीत के लिए निजी स्थान होना अनिवार्य है और यह नया परिसर उसी सोच की पूर्ति करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वक्तव्य
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर को न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि सुशासन की पहली शर्त है “कानून का शासन” और सरकार हाईकोर्ट के विस्तार के लिए आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाईकोर्ट की सक्रिय भूमिका के बिना महाकुंभ जैसे आयोजनों का सफल संचालन संभव नहीं होता।