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केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मसूरी में किया लोकसेवा का मार्गदर्शन, कहा – “लोक सेवा विशेषाधिकार नहीं, जिम्मेदारी है

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मसूरी/देहरादून : केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 22वें मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम (तृतीय चरण) के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को लोक सेवा की आत्मा, संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व का स्मरण कराया।

श्री चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा, “लोक सेवा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि यह एक गंभीर और नैतिक जिम्मेदारी है। यह जीवनभर देश और देशवासियों की सेवा का संकल्प है।” उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे शासन में विनम्रता, अनुशासन और सहानुभूति जैसे मूल्यों को अपनाएं और यह सुनिश्चित करें कि शासन प्रणाली सहभागिता और करुणा पर आधारित हो।

कार्यक्रम में LBSNAA के निदेशक श्री श्रीराम तरनीकांति, संयुक्त निदेशक श्री उदित अग्रवाल, उप निदेशक (वरिष्ठ) श्री गणेश शंकर मिश्रा और लोक प्रशासन के प्रोफेसर डॉ. बागदी गौतम सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

श्री चौहान ने अधिकारियों को नीति को जमीनी स्तर तक प्रभावी रूप से लागू करने को “वास्तविक नेतृत्व” करार दिया और कहा कि बदलाव अधिकार से नहीं, बल्कि जागरूकता और संवेदनशीलता से लाया जाना चाहिए। उन्होंने महर्षि अरबिंदो के विचारों का हवाला देते हुए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को शासन के वैश्विक दृष्टिकोण के रूप में सामने रखा।

कृषि और ग्रामीण विकास पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “भारत की कृषि शक्ति इसकी आत्मा है और राष्ट्रीय विकास का भविष्य ग्रामीण समृद्धि पर निर्भर है। प्रयोगशाला से खेत तक नवाचार को पहुंचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने भारत के विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों को देश की खाद्य सुरक्षा का मजबूत आधार बताया।

श्री चौहान ने महिलाओं के सशक्तिकरण को सामाजिक प्रगति की बुनियाद बताते हुए कहा, “महिलाओं की गरिमा, भागीदारी और सशक्तिकरण के बिना कोई भी विकास अधूरा है।” उन्होंने ‘लाडली लक्ष्मी’ और ‘लाडली बहना’ जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस नीति प्रयासों की सराहना की।

केंद्रीय मंत्री का यह संबोधन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए न केवल प्रेरणादायक रहा, बल्कि लोक सेवा के मूल सिद्धांतों की याद दिलाने वाला भी सिद्ध हुआ। उन्होंने शासन को एक मानवीय, सहभागी और परिवर्तनकारी प्रक्रिया बनाने का संदेश दिया।

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