
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड के 1341 पदों पर चयन प्रक्रिया में उत्तर कुंजी बदलने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग के सचिव को 29 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होकर न्यायालय को मार्गदर्शन करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई कल भी जारी रखने का निर्णय लिया है।
याचिकाकर्ताओं, नवीन सिंह असवाल, दीपिका रमोला, प्रियंका और अन्य अभ्यर्थियों ने न्यायालय में कहा है कि UKSSSC ने सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था और चयन प्रक्रिया जारी है। लिखित परीक्षा के बाद आयोग ने वेबसाइट पर उत्तर कुंजी अपलोड की, जिसे बाद में संशोधित कर दिया गया और अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी गईं। याचिकाकर्ताओं ने कई प्रश्नों के उत्तरों पर आपत्ति जताई, जिसमें उनके सही उत्तरों को संशोधित कुंजी में गलत कर दिया गया, जिसके कारण वे चयन से वंचित रह गए। उन्होंने तर्क दिया कि आयोग बिना किसी वैध कारण के उत्तर कुंजी में संशोधन नहीं कर सकता और प्रश्न बनाते समय उनके उत्तरों की जांच भी ठीक से नहीं की गई थी।
इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राजस्व विभाग और एक निजी पीड़ित परिवार की जमीन पर कब्जे के खिलाफ दायर जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए जिलाधिकारी नैनीताल को खसरा नंबर 56, गांव च्यूनी, परगना धन्याकोट, ब्लॉक बेतालघाट, जिला नैनीताल का नायब तहसीलदार के साथ न्यायिक सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने जिलाधिकारी को 16 मई तक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
याचिकाकर्ता, कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन के महासचिव दीपक करगेती ने आरोप लगाया है कि एक सत्ताधारी दल के विधायक ने सत्ता के दबाव में कृषि विभाग द्वारा तारबाड़ और उद्यान विभाग द्वारा सोलर फेंसिंग व सेब के पौधे लगाने के नाम पर राजस्व की जमीन और एक निर्धन असहाय परिवार की जमीन पर कब्जा कर लिया है। याचिका में राजस्व सचिव उत्तराखंड शासन, पुलिस महानिदेशक, कृषि सचिव, कृषि निदेशक, उद्यान निदेशक, जिलाधिकारी नैनीताल, लोक निर्माण विभाग रानीखेत और वन विभाग अल्मोड़ा को भी पक्षकार बनाया गया है।
दीपक करगेती ने याचिका में कहा है कि पीड़ित परिवार ने सरकार से लेकर प्रशासन तक न्याय की गुहार लगाई, लेकिन सत्ताधारी विधायक के दबाव के कारण कोई सुनवाई नहीं हुई। न्यायालय ने सुनवाई के बाद जिलाधिकारी से जवाब दाखिल कर 16 मई तक सर्वे रिपोर्ट पेश करने को कहा है।