ब्रिटेन के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी बचपन में नस्लवाद को महसूस किया। उनके माता-पिता ने उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा के लिए भेजा, ताकि वह अन्य बच्चों की तरह ‘अच्छे तरह से बोल’ सकें। एक टीवी चैनल पर सुनक ने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता उनके उच्चारण को लेकर काफी सचेत थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नस्लवाद किसी भी रूप में पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता इस बात के प्रति दृढ़ थे कि उन्हें अन्य बच्चों के अनुरूप ढलना चाहिए और अच्छी तरह बोलना चाहिए। सुनक ने कहा कि इसके लिए उनके माता-पिता ने उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा के लिए भेजा। उन्होंने कहा कि ‘‘ऐसा न होना कठिन है, ठीक है, और जाहिर तौर पर मैंने एक बच्चे के रूप में नस्लवाद का अनुभव किया है।’’
सुनक ने अपने छोटे भाई-बहनों के लिए अपशब्द सुनने के दर्द को भी याद किया। उन्होंने कहा कि नस्लवाद चुभता है और उस तरह से पीड़ा पहुंचाता है, जो अन्य चीजें नहीं पहुंचातीं। सुनक ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्होंने जो कुछ अनुभव किया वह अब उनके बच्चों के साथ नहीं होगा। अपनी भारतीय विरासत पर चर्चा करते हुए सुनक ने कहा कि उनके माता-पिता चाहते थे कि वह और उनके भाई-बहन अन्य लोगों के अनुरूप ढलें। उन्होंने आगे कहा कि उनकी मां इस बात को लेकर विशेष रूप से सचेत थीं कि उनके बच्चे कैसे बोलते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मां जिन चीजों को लेकर बहुत ज्यादा जुनूनी थीं, उनमें से एक यह थी कि वह उच्चारण पर जोर दिये बिना ठीक से बातचीत कर सकें। सुनक ने कहा कि नस्लवाद का कोई भी रूप पूरी तरह से अस्वीकार्य है।