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TMC नेता के बेटे पर 450 करोड़ की ठगी का आरोप: 3 हजार लोगों से चिटफंड के नाम पर लूट, BJP ने ममता सरकार से पूछा—कब होगी कार्रवाई?

आसनसोल/कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शकील अहमद के बेटे तहसीन अहमद पर 450 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप लगा है। मामला राज्य के औद्योगिक जिले आसनसोल का है, जहां करीब 3 हजार परिवारों ने आरोप लगाया है कि तहसीन अहमद ने एक फर्जी चिटफंड कंपनी बनाकर उन्हें बेहतर रिटर्न का लालच देकर मोटी रकम हड़प ली।

आरोप है कि तहसीन अहमद और उसके सहयोगियों ने शुरुआत में निवेशकों को कुछ महीनों तक तय ब्याज दर पर रकम लौटाई, जिससे लोगों का भरोसा बढ़ता गया। लेकिन कुछ समय बाद कंपनी के दफ्तर बंद कर दिए गए और तहसीन अहमद 15 अक्टूबर को फरार हो गया। इस बीच, पीड़ितों ने सामूहिक रूप से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, और फिलहाल मामले की जांच जारी है।


3 हजार से अधिक परिवारों को लगा आर्थिक झटका

आसनसोल और आसपास के क्षेत्रों में इस चिटफंड स्कीम का नेटवर्क तेजी से फैला था। कंपनी ने खुद को “विश्वसनीय निवेश मंच” बताते हुए स्थानीय लोगों को यह भरोसा दिलाया कि उनका पैसा सुरक्षित रहेगा और तय अवधि में 15-20% तक का रिटर्न मिलेगा।

पीड़ितों का कहना है कि शुरुआत में कंपनी ने कुछ महीनों तक रकम लौटाई, लेकिन फिर अचानक सबकुछ बंद हो गया। जब निवेशक कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो वहां ताला लगा मिला। फोन कॉल्स और वेबसाइट भी बंद कर दी गईं। अब हजारों निवेशक अपनी जमा-पूंजी खोकर भटक रहे हैं।

एक स्थानीय निवेशक ने बताया—

“हमने अपनी जीवन भर की कमाई इसमें लगा दी थी। तहसीन अहमद खुद कई बार मीटिंग में आता था और भरोसा दिलाता था कि यह सरकार से जुड़ा प्रोजेक्ट है। अब वह गायब है, और पुलिस भी कुछ नहीं बता रही।”


TMC नेता का बेटा होने से बढ़ी सियासी हलचल

मामले का राजनीतिक पहलू इसे और गंभीर बना रहा है, क्योंकि आरोपी तहसीन अहमद सत्ताधारी दल TMC के एक वरिष्ठ नेता शकील अहमद का बेटा है। इस वजह से विपक्षी दलों ने ममता बनर्जी सरकार को सीधे निशाने पर लिया है।

भाजपा (BJP) ने आरोप लगाया है कि यह चिटफंड घोटाला सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण से जुड़ा मामला है।

BJP IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखा—

“TMC अल्पसंख्यक विंग के अध्यक्ष शकील अहमद के बेटे तहसीन अहमद ने एक फर्जी और बिना लाइसेंस वाली कंपनी के जरिए 3,000 से ज़्यादा परिवारों को ठगा है, जिनमें से ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय से हैं। उसने लोगों को ज़्यादा रिटर्न का लालच दिया, करोड़ों रुपये इकट्ठा किए और फिर 15 अक्टूबर को गायब हो गया।”

मालवीय ने आगे लिखा,

“अब सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी की सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करेगी, या फिर अपनी पार्टी के नेता के बेटे को बचाने के लिए इसे भी दबा दिया जाएगा?”


पुलिस जांच जारी, आरोपी अब भी फरार

आसनसोल पुलिस ने पुष्टि की है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वासघात की धाराओं में केस दर्ज किया है।

पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया—

“हमने पीड़ितों से कई दस्तावेज़ और बैंक लेनदेन के सबूत लिए हैं। आरोपी तहसीन अहमद की लोकेशन ट्रेस की जा रही है। फिलहाल वह फरार है, लेकिन जल्द ही उसे गिरफ्तार किया जाएगा।”

राज्य पुलिस मुख्यालय से भी मामले की रिपोर्ट मांगी गई है।


BJP का हमला, TMC की चुप्पी

भाजपा ने इस प्रकरण को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह सरकार-प्रायोजित भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है।

राज्य भाजपा प्रवक्ता ने कहा—

“चिटफंड घोटाले बंगाल की राजनीति में कोई नई बात नहीं है। पहले सारदा और रोज़ वैली घोटाले हुए, अब तहसीन अहमद का मामला सामने आया है। फर्क सिर्फ इतना है कि हर बार TMC नेताओं से जुड़े नाम सामने आते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।”

दूसरी ओर, TMC की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि “मामला जांच के अधीन है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।”


चिटफंड घोटालों का पुराना दर्द

पश्चिम बंगाल पहले भी सारदा चिटफंड घोटाले (2013) और रोज़ वैली घोटाले जैसे मामलों से गुजर चुका है, जिनमें लाखों लोगों की पूंजी डूब गई थी। उस समय भी कई राजनीतिक नाम सामने आए थे। अब इस नए मामले ने पुराने घाव ताजा कर दिए हैं।

आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि राज्य में निवेश योजनाओं पर निगरानी तंत्र अभी भी कमजोर है। “बिना लाइसेंस और बिना आरबीआई अनुमोदन वाली कंपनियां आसानी से पंजीकृत हो जाती हैं और ग्रामीण इलाकों में लोगों को झांसे में ले लेती हैं,” उन्होंने कहा।


लोगों से अपील: सतर्क रहें

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने आम नागरिकों को चेतावनी जारी की है कि वे किसी भी बिना पंजीकृत निवेश कंपनी में पैसा न लगाएं। अधिकारी ने कहा—

“यदि कोई संस्था सरकारी नाम या पार्टी से जुड़ा बताकर निवेश का झांसा दे, तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें। ऐसे मामलों में सामूहिक शिकायत करने से जांच तेजी से आगे बढ़ती है।”


क्या कहती है जनता?

आसनसोल के बाजारों और इलाकों में अब यह चर्चा आम है कि “क्या इस बार भी मामला दब जाएगा?” स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आरोपी किसी सामान्य व्यक्ति का बेटा होता, तो अब तक कार्रवाई हो चुकी होती।

एक महिला निवेशक ने भावुक होकर कहा—

“हमने बेटी की शादी के लिए पैसा जोड़ा था। अब सब खत्म हो गया। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो हमें न्याय पर से भरोसा उठ जाएगा।”

450 करोड़ रुपये के इस कथित चिटफंड घोटाले ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया है, बल्कि राजनीतिक तूफान भी खड़ा कर दिया है। आरोपी TMC नेता का बेटा है, इसलिए विपक्ष इसे “राजनीतिक संरक्षण में हुआ आर्थिक अपराध” बता रहा है। अब सबकी नजर राज्य पुलिस और ममता सरकार पर है कि क्या वह दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी या यह मामला भी बंगाल की पुरानी फाइलों में खो जाएगा।

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