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नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा बड़ा फैसला,

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प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल (बुधवार) को अपना फैसला सुनाएगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्‍ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख समेत 242 याचिकाओं पर सुप्राीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपराध की आय की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई है. इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं.

इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के धन शोधन निवारण अधिनियम संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर सुप्राीम कोर्ट के समक्ष दलीलें दीं. कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ECIR – FIR के समान कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई है. दूसरी ओर, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रावधानों का बचाव किया था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के 18,000 करोड़ रुपये बैंकों को लौटा दिए गए हैं.

धन शोधन निवारण अधिनियम के मामलों में 67,000 करोड़ रुपये के मामलों के केस सुप्राीम कोर्ट में लंबित हैं. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखा. तुषार मेहता ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 4,700 पीएमएलए मामलों की जांच की जा रही है. पिछले पांच सालों में हर साल जांच के लिए उठाए गए मामलों की संख्या बढ़ रही है. साल 2015-16 में 111 मामले थे, 2020-21 में यह 981 तक हो चुके हैं. पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के दौरान ऐसे अपराधों के लिए 33 लाख FIR दर्ज हुईं लेकिन धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत केवल 2,086 मामलों की जांच की गई. ब्रिटेन (7,900), अमेरिका (1,532), चीन (4,691), ऑस्ट्रिया (1,036) हांगकांग (1,823), बेल्जियम (1,862) और रूस (2,764) में मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत मामलों के वार्षिक केसों की तुलना में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच के लिए बहुत कम मामले उठाए जा रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने आज की तारीख तक 4,700 मामलों की जांच की है और 2002 में धन शोधन रोकथाम कानून लागू होने के बाद से कथित अपराधों को लेकर सिर्फ 313 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ऐसे मामलों में अदालतों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों द्वारा कवर की गई कुल राशि लगभग 67,000 करोड़ रुपये है.”

केंद्र ने SC को बताया कि पिछले 17 वर्षों में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई की पहचान हुई और अटैच की गई. इस अवधि में धन शोधन निवारण अधिनियम धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच के लिए 4,850 मामले उठाए गए हैं. अपराध की आय की कुर्की में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी हाफिज मोहम्मद सईद, आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और कथित ड्रग्स तस्कर इकबाल मिर्ची की संपत्ति शामिल है. आतंकवाद और नक्सल फंडिंग के 57 मामलों की जांच में 1,249 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पहचान हुई है. 17 साल में 2,883 सर्च की गईं, 256 संपत्तियों के माध्यम से 982 करोड़ रुपये की अपराध की आय अटैच हुई. धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 37 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गईं और दो आतंकवादियों को दोषी ठहराया गया. यह सब धन शोधन निवारण अधिनियम में प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की परतों के कारण संभव है. 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पहचान की गई और धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 5 के तहत अटैच की गई, जिसमें से लगभग 55,899 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पुष्टि प्राधिकारी द्वारा की गई है.

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