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गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ेगा बहुप्रतीक्षित सिंगटाली पुल, CM धामी ने दी 57 करोड़ की स्वीकृति, जल्द होगा निर्माण कार्य शुरू

सिंगटाली पुल की मांग स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी।

देहरादून/पौड़ी, 19 अगस्त: उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों को आपस में जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित सिंगटाली पुल के निर्माण का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुल निर्माण के लिए 57 करोड़ 5 लाख 25 हजार रुपये की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। शासन स्तर पर मंगलवार को इसके आदेश भी जारी कर दिए गए, जिससे अब पुल निर्माण कार्य की औपचारिक शुरुआत होने जा रही है।

लंबा इंतजार, बड़ी सौगात

सिंगटाली पुल की मांग स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी। कौडियाला-व्यासघाट मोटर मार्ग (किमी 01) पर गंगा नदी पर बनने वाला यह पुल लगभग 150 मीटर लंबा होगा। इसका निर्माण पूरा होने के बाद गढ़वाल और कुमाऊं के बीच सड़क संपर्क और मजबूत होगा, जिससे यात्रा में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा।
स्थानीय नागरिकों के मुताबिक, इस पुल के बनने से न केवल दोनों मंडलों के बीच सुगम यातायात होगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

मुख्यमंत्री का संकल्प

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पुल की स्वीकृति को अपनी पूर्व घोषणाओं से जोड़ते हुए कहा कि राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा—
“सिंगटाली पुल की मांग जनता लंबे समय से कर रही थी। इस पुल के निर्माण से गढ़वाल और कुमाऊं के मध्य सड़क सम्पर्क और मजबूत होगा। अब तेजी से निर्माण कार्य प्रारंभ करते हुए इसे तय समय पर पूरा किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में व्यय- वित्त समिति पहले ही इस परियोजना को हरी झंडी दे चुकी है, और अब किसी भी प्रकार की प्रशासनिक अड़चन शेष नहीं है।

रणनीतिक और सामाजिक महत्व

विशेषज्ञों का मानना है कि सिंगटाली पुल का निर्माण राज्य के लिए केवल यातायात की सुविधा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सामाजिक और रणनीतिक महत्व भी है।

  • पर्यटन को बढ़ावा: गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने से चारधाम यात्रा, अलकनंदा-गंगा घाटी और कुमाऊं के पर्यटन स्थलों तक पहुंच आसान होगी।
  • व्यापारिक गतिविधियाँ: क्षेत्रीय व्यापारियों और किसानों को अपने उत्पाद दूसरे मंडल तक पहुँचाने में सुविधा होगी।
  • आपदा प्रबंधन: पुल बनने से आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।

विकास की ओर नया कदम

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह परियोजना न केवल धामी सरकार की विकास प्राथमिकताओं को दर्शाती है बल्कि क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश भी है। गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों के बीच पुल निर्माण एक ‘इमोशनल कनेक्ट’ भी है, क्योंकि यह दशकों से अधूरी मांग अब पूरी होने जा रही है।

57 करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों और जनभावनाओं के अनुरूप एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। इसके पूरा होने से गढ़वाल और कुमाऊं के बीच की दूरी केवल भौगोलिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी कम होगी। जनता को विश्वास है कि सरकार की इस पहल से क्षेत्रीय विकास की नई राह खुलेगी।

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