आज उत्तराखंड के जागर सम्राट, लोकगायक पद्म श्री प्रीतम भरतवाण का जन्मदिन दिन है. आज ही के दिन 17 सितम्बर 1970 के दिन देहरादून के रायपुर ब्लॉक के सिला गांव में एक औजी परिवार में हुआ. यही कारण है कि लोक संगीत प्रीतम भरतवाण को विरासत में मिला है. उन्होंने बचपन से ही अपने घर पर ढोल, डौर, थाली और हुडके जैसे कई उत्तराखंडी वाद्य यंत्रो को देखा हुआ था. उनके पापा और दादा घर पर ही गाया करते थे. उत्तराखंड के पहाड़ों में होने वाले कई त्यौहारों में प्रीतम परिवार के साथ जागर लगाया करते थे. वहीं से उनके अन्दर जागरों के प्रति जूनून जगा और पुरे समर्पण के साथ उन्होंने जागर और संगीत की साधना की थी.
प्रीतम भरतवाण की कला को पहचान सबसे पहले स्कूल में रामी बारौणी के नाटक में बाल आवाज़ देने से हुई. मात्र 12 साल की उम्र में ही उन्होंने लोगों के सामने जागर गाना शुरू कर दिया था. इस जागर को गाने के लिए उनके परिवार के जीजाजी और चाचा ने उन्हे कहा था. 1988 में प्रीतम भरतवाण ने सबसे पहले ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाई. 1995 में प्रीतम भरतवाण की कैसेट रामा कैसेट से तौंसा बौं निकली.इस कैसेट को जनता ने हाथों-हाथ लिया. प्रीतम भरतवाण को सबसे अधिक लोकप्रियता उनके गीत सरूली मेरू जिया लगीगे गीत से मिली. यह गीत आज भी सबसे लोकप्रिय गढ़वाली गीतों में शामिल है जिसके अब न जाने कितने रिमिक्स बन चुके हैं.
प्रीतम भरतवाण न सिर्फ जागर गाते हैं बल्कि लोकगीत, पवांडा, और लोकगीत भी गाते हैं. इसके साथ ही वे कई लोक वाद्य यंत्र भी बजाते हैं. प्रीतम भरतवाण ने उत्तराखंड की संस्कृति का विदेशों में भी खूब प्रचार-प्रसार किया है. अमेरिका, इंग्लैंड जैसे कई देशों में उत्तराखंड की लोक संस्कृति का प्रदर्शन किया है. आज प्रीतम भरतवाण का जन्मदिन अब उत्तराखंड में जागर संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है.
प्रीतम भरतवाण को उत्तराखंड की लोककला जागर विधा में अपने सराहनीय कार्यों के लिए भारत सरकार के द्वारा सन 2019 में पारंपरिक लोक कला के लिए उन्हें भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया. उन्हें उत्तराखंड में जागर सम्राट के नाम से जाना जाता है। उन्हें राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वह सिनसिनाटी विश्वविद्यालय और इलिनोइस विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
The Hill India परिवार की तरफ से जागर सम्राट, लोकगायक पद्म श्री प्रीतम भरतवाण के जन्मदिन दिन पर उन्हें ढेरों बधाइयाँ एवं उनके द्वारा किये गए जागर, लोकगीत और उत्तराखंड की लोककला के इस अतुलनीय कार्य सारे संसार में फैलते जाएँ.